इन चमत्कारी मंत्रों के साथ करें नए साल की शुरुआत, होगी धन प्राप्ति

इन चमत्कारी मंत्रों के साथ करें नए साल की शुरुआत, होगी धन प्राप्ति
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नववर्ष के स्वागत की तैयारियां लगभग पूरी की जा चुकी हैं। नया वर्ष आरम्भ होने में अब कुछ ही घंटे शेष हैं। लोग चाहते हैं कि आने वाला नया वर्ष उनके जीवन के लिए खुशनुमा रहे। इसके लिए लोग नए वर्ष के पहले दिन कई प्रकार के कार्य करते हैं, जिनके माध्यम से इंसान को धन का लाभ प्राप्त होता है तथा घर में खुशियों का वास होता है। मान्यता है कि नए वर्ष के पहले दिन पूजा के चलते कुछ विशेष मंत्रों का जाप करने से साधक को जीवन में शुभ फल की प्राप्ति होती है तथा धन से संबंधित समस्या से छुटकारा प्राप्त होता है तथा मां लक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रहती है। आइए आपको बताते हैं उन मंत्रों के बारे में-

इच्छा होगी पूरी
ॐ नमो भगवते रुद्राय नमः

आर्थिक स्थिति के लिए मंत्र
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥

धन प्राप्ति मंत्र
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं त्रिभुवन महालक्ष्म्यै अस्मांक दारिद्र्य नाशय प्रचुर धन देहि देहि क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ ।
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं सौं ॐ ह्रीं क ए ई ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं सकल ह्रीं सौं ऐं क्लीं ह्रीं श्री ॐ।
ॐ ह्री श्रीं क्रीं श्रीं क्रीं क्लीं श्रीं महालक्ष्मी मम गृहे धनं पूरय पूरय चिंतायै दूरय दूरय स्वाहा ।

व्यापार वृद्धि मंत्र
ॐ ऐं श्रीं महालक्ष्म्यै कमल धारिण्यै गरूड़ वाहिन्यै श्रीं ऐं नमः

कर्ज मुक्ति मंत्र
ॐ ह्रीं महालक्ष्मी च विद्महे विष्णुपत्नीं च धीमहि तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात् ह्रीं ॐ

शिव मूल मंत्र
ॐ नमः शिवाय॥

रूद्र मंत्र
ॐ नमो भगवते रूद्राय ।

रूद्र गायत्री मंत्र
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय
धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥

महामृत्युंजय मंत्र
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

कर्ज मुक्ति स्तुति
ऊँ तां मआ वह जातवेदों लक्ष्मीमनगामिनीम् ।
यस्यां हिरण्यं विन्देयं गामवश्वं पुरुषानहम् ।।
अश्वपूर्वां रथमध्यां हस्तिनाद प्रमोदिनीम् ।
श्रियं देवीमुप ह्रये श्रीर्मा देवी जुषताम् ।।
ऊँ उपैतु मां देवसख: कीर्तिश्च मणिना सह।
प्रादुर्भूतोSस्मिराष्ट्रेस्मिन् कीर्त्तिमृद्धिं ददातु मे ।।
ऊँ क्षुत्पिपासमलां ज्येष्ठामलक्ष्मी नाशयाम्यहम् !
अभूतिम समृद्धिं च सर्वां निणुर्द में गृहात् ।।
ऊँ मनस: काममाकूतिं वाच: सत्यमशीमहि ।
पशूनां रूपमन्नस्य मयि: श्री: श्रयतां दश: ।।
ऊँ आप: सृजंतु स्निग्धानि चिक्लीत वस मे गृहे ।
निच देवीं मातरं श्रियं वासय में कुले ।।
ऊँ आर्दा य: करिणीं यष्टिं सुवर्णां हेममालिनीम् ।
सूर्यां हिरण्मयीं लक्ष्मी जातवेदो म आवह ।।
“ॐ अत्रेरात्मप्रदानेन यो मुक्तो भगवान्
ऋणात् दत्तात्रेयं तमीशानं नमामि ऋणमुक्तये।”

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