भोपाल: मध्यप्रदेश में सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (CBI) को जांच करने से पहले प्रदेश सरकार की लिखित इजाजत लेनी होगी. मतलब बिना प्रदेश सरकार की अनुमति के CBI कोई जांच नहीं कर पाएगी. इस सिलसिले में प्रदेश के गृह विभाग ने अधिसूचना जारी की है, जिसके अनुसार, 1 जुलाई से ही यह व्यवस्था प्रभावशील मानी जाएगी. गृह विभाग के अनुसार, प्रदेश में यह व्यवस्था पहले से लागू थी, किन्तु अभी भारतीय न्याय संहिता लागू होने के कारण नोटिफिकेशन जारी करना जरूरी था. ऐसा नहीं करने पर कोर्ट में चल रहे विचारधीन मुकदमों पर प्रभाव पड़ सकता था.
अपने आदेश में मध्य प्रदेश सरकार ने कहा है कि यदि CBI को प्रदेश के किसी भी व्यक्ति, सरकारी अफसर या संस्था की जांच करनी हो तो उसे पहले प्रशासन से लिखित मंजूरी लेनी होगी. अपने इस आदेश के साथ ही मध्य प्रदेश भी अब उन प्रदेशों की सूची में सम्मिलित हो गया, जहां CBI जांच के लिए पहले सरकार की अनुमति लेनी होगी. अभी तक यह नियम अधिकतर विपक्ष की सरकार वाले प्रदेशों में है. जिनमें पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, पंजाब, केरल एवं तेलंगाना जैसे राज्य सम्मिलित हैं.
वहीं, दिल्ली के स्पेशल पुलिस इस्टैब्लिशमेंट एक्ट की धारा-6 के मुताबिक, CBI को अपने अधिकार क्षेत्र में जांच करने के लिए प्रदेश सरकार से सहमति लेनी आवश्यक है. हालांकि वर्ष 2022 अक्टूबर में महाराष्ट्र सरकार ने पहले के इस आदेश को पलट दिया था. शिवसेना प्रमुख एवं सीएम एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे की तत्कालीन MVA सरकार के आदेश को उलट दिया था.
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