दुनियाभर को कोरोना वायरस ने अपनी चपेट में ले रहा है. वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए भारत-नेपाल सीमा सील कर दी गई है. सीमा सील होने की वजह से अपने व्यापार और सैर सपाटे के लिए नेपाल गए हजारों भारतीय नागरिक नेपाल में फंसे हुए हैं. सीमा पर तैनात सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि अब 21 दिनों तक कोई भी नागरिक सीमा को पार नहीं करेगा. कोरोना वायरस पर देश ही नहीं बल्कि दुनिया के लोग सहमे हुए हैं. यही वजह है कि देश-विदेश में लोग घरों में दुबकने को मजबूर हैं. नेपाल में कई ऐसे संस्थान हैं, जहां भारतीय कर्मचारी कार्य करते हैं. ऐसे में कोरोना जैसी महामारी ने उनके भी दिलों में डर पैदा कर दिया है.
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि नेपाल के काठमांडू, पोखरा, नेपालगंज, नरायनघाट सहित दर्जनों शहरों में भारतीय नागरिक अपने वतन लौटने की राह देख रहे हैं. नेपाल सरकार ने पूरे देश लॉकडाउन की घोषणा कर रखी है. जिससे किसी भी नागरिक को घर से बाहर निकलने की इजाजत नहीं दी जा रही है. रुपंदेही नेपाल के एसपी हेम कुमार थापा ने बताया कि नेपाल में पूरी तरह से लॉक डाउन है. किसी भी नागरिक को घर से निकलने की इजाजत नहीं दी जा रही है. कुछ भारतीय नागरिक नेपाल में है, लेकिन उन्हें स्थिति सामान्य होने तक सड़क पर न निकलने की हिदायत दी गई है.
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वायरस की वजह से लॉकडाउन के चलते भारत से नेपाल जाने वाले मालवाहक ट्रकों के सीमापार प्रवेश में दिक्कत हो रही थी. जिसके कारण सीमा पर बड़ी संख्या में खाद्यान्न, फल, सब्जी, गैस, डीजल, पेट्रोल लदे वाहनों की कतार लग गई. दोपहर बाद सरहद पर पहुंचे उपाधीक्षक राजू कुमार साव ने नेपाल प्रशासन के साथ बैठक कर सीमा पर फंसे आवश्यक वाहनों को नेपाल भेजने पर सहमति बनी. नेपाल भैरहवा भंसार कार्यालय में बैठक के दौरान कस्टम चीफ भैरहवा कमल भटराई, सोनौली कस्टम अधीक्षक योगेश शर्मा, बेलहिया इंस्पेक्टर ईश्वरी अधिकारी, चौकी प्रभारी अशोक कुमार, शांत कुमार शर्मा व रवि पारीक आदि मौजूद रहे.
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