विधानसभा में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा द्वारा विशाल हरियाणा के गठन का मुद्दा उठाने के बाद प्रदेश की राजनीति गर्मा गई है. हुड्डा ने कहा कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ जिलाें को मिलाकर विशाल हरियाणा का गठन किया जाए और इसकी राजधानी दिल्ली हो. भाजपा ने इसके लिए हुड्डा और कांग्रेस की चंडीगढ़ पर हरियाणा के दावे को कमजोर करने की कोशिश करार दिया. भाजपा ने इसे पूरी तरह खारिज कर दिया और हुड्डा पर पलट वार किया.
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और दिल्ली के ग्रामीण क्षेत्रों को मिलाकर विशाल हरियाणा बनाने का मुद्दा कोई नया नहीं है. हरियाणा विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने इस मुद्दे को फिर से उठाकर राज्य की सियासत में नई चर्चा छेड़ दी है. भाजपा का कहना है कि हुड्डा यह मुद्दा उठाकर हरियाणा के पंजाब से जुड़े मसलों को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं. सत्तापक्ष भाजपा ने हुड्डा की पहल को पूरी तरह खारिज कर दिया है.
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अगर आपको नही पता तो बता दे कि इसके बीच बड़ा तथ्य यह है कि यह मुद्दा हरियाणा गठन के बाद भी खूब उठा था. 1 नवंबर 1966 को हरियाणा गठन के बाद राज्य में 1967 में पहला विधानसभा चुनाव हुआ. इस चुनाव में राव बिरेंद्र सिंह विशाल हरियाणा पार्टी से चुने गए थे और हरियाणा की पहली निर्वाचित विधानसभा के अध्यक्ष बने थे. 24 मार्च 1967 को राव बिरेंद्र सिंह संयुक्त विधायक दल के नेता चुने गए और फिर उन्होंने हरियाणा के मुख्यमंत्री का पद संभाला था. विशाल हरियाणा पार्टी बनाने के पीछे राव बिरेंद्र सिंह का यही मकसद था कि हिंदी भाषी क्षेत्रों का एक ऐसा राज्य बने जिसका केंद्र की सरकार में भी सक्रिय दखल हो सके.
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