भगवान राम की पावन नगरी अयोध्या में इस सुबह का बहुत समय से इंतजार किया जा रहा था. 492 वर्ष से न सिर्फ अयोध्यावासी बल्कि विश्वभर के रामभक्त इस सुबह का इंतजार कर रहे थे. यह उस साल की पहली सुबह है, जिसमें रामनगरी के भव्यतम स्वरूप की आधारशिला रखी जानी है. यूं तो रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण तो गत नौ नवंबर को आए सुप्रीम फैसले से ही तय हो गया है लेकिन, नव वर्ष के पूर्वार्ध में इसकी शुरुआत होनी है.
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मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में तीन माह के भीतर मंदिर निर्माण के लिए शासकीय न्यास के गठन की बात कही है. इस हिसाब से आठ फरवरी तक इसका गठन हो जाना है. इसके बाद मंदिर निर्माण शुरू होने के लिए अधिक प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ेगी. शासकीय न्यास के गठन और मंदिर निर्माण के प्रति अपनी जिम्मेदारी के प्रति सरकार गंभीर है. मंदिर निर्माण के प्रति उत्साह के साथ उसके भव्यतम आकार-प्रकार की कल्पना भी की जा रही है.
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि स्वयं केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह दो बार रामलला के गगनचुंबी मंदिर निर्माण का भरोसा दिला चुके हैं. कई अन्य मंदिर समर्थक रामलला के भव्यतम मंदिर की चाहत का इजहार कर रहे हैं. कोई रामलला के 1008 फीट ऊंचे मंदिर की मांग कर रहा है, तो कोई 1011 फीट. यह कहना तो कठिन है कि रामलला का मंदिर कितना ऊंचा होगा पर यह विश्वास पक्का होता जा रहा है कि यह अति भव्य होगा. 2020 में ही रामनगरी को अति भव्यता की पर्याय भगवान राम की 251 मीटर ऊंची प्रतिमा के शिलान्यास का इंतजार होगा. यह दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा होगी.
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