ग्वलियर। डबरा शहर में 12 एकड़ में नवग्रह मंदिर बनाया जा रहा है। डबरा की पहचान शक्कर के लिए हुआ करती थी, लेकिन अब मिल बंद कर दी गई है। माना जा रहा है की, अब डबरा की नई पहचान बनने वाले नवग्रह मंदिर से होगी। मंदिर ट्रस्ट का कहना है कि, यह प्रदेश का सबसे भव्य नवग्रह मंदिर होगा। जहां सभी, नौ ग्रह अपनी-अपनी पत्नियों के साथ विराजेंगे। द्रविड़, फ़ारस और मिश्रित शैली का उपयोग इस मंदिर के निर्माण में किया गया है, वही संपूर्ण मंदिर का निर्माण गोलाकार रूप में किया गया है। वास्तु और विज्ञान दोनों का ध्यान रखते हुए किया गया है, क्योंकि वास्तु में गोलाकार वस्तु पर अशुभ प्रभाव नहीं पड़ता और साइंस के मुताबिक ग्रह वृत्ताकार कक्षाओं में ही भ्रमण करते हैं।
मंदिर के पास एक बड़ा तालाब बनाया गया है जिसमें बहने वाला जल, मंदिर की परिक्रमा करते हुए वापस तालाब में पहुंचेगा और यह परिक्रमा लगातार इसी तरह से जारी रहेगी। शास्त्रों के अनुसार, जब सूर्य देव को पृथ्वी पर विराजित किया जाता है, तब उनके तेज को या उनकी ऊर्जा को नियंत्रित करने के लिए जल की ज़रूरत पड़ती है। माना जा रहा है कि, इस साल के अंत या अगले साल के प्रारंभ में इस मंदिर का निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा। फिलहाल इसका 90% काम पूरा हो चुका है। मंदिर निर्माण से डबरा क्षेत्र में पर्यटन को भी काफी बढ़ावा मिलेगा।
मंदिर का बाहरी स्वरूप मिश्रित शैली में है और सूर्य मंदिर द्रविड़ शैली में। 40 हजार स्क्वेयर फीट में मंदिर और एक लाख स्क्वेयर फिट में प्लेटफार्म एरिया का निर्माण द्रविड़, फ़ारस और मिश्रित शैली में किया गया है। मंदिर पूरा स्वरूप रथ के आकार में है, जिसमें चार चक्र 7 घोड़े और सारथी के रूप में वरुण देव हैं जो हाथो में सभी घोड़ों की लगाम लिए हुए हैं।
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