नई दिल्ली। स्टेच्यू आॅफ यूनिटी यानी एकता की प्रतिमा का अनावरण कल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। यह भारत के पहले उप प्रधानमंत्री, प्रथम गृहमंत्री और भारतीय गणतंत्र बनाने में अहम योगदान देने वाले सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिमा है। सरकाद पटेल को भारत का लौह पुरुष भी कहा जाता है। स्टेच्यू आॅफ यूनिटी को लेकर राजनीतिक पार्टियां अपनी—अपनी बयानबाजी कर रही हैं। भाजपा जहां इसे सरदार पटेल का सम्मान बता रही है, वहीं कांग्रेस इसे भाजपा का चुनावी एजेंडा घोषित कर रही है। यह अब तक दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है। आइए जानते हैं कि स्टेच्यू आॅफ यूनिटी का निर्माण कैसे हुआ?
पांच साल पहले हुआ था शिलान्यास
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने 31 अक्टूबर 2013 को स्टेच्यू आॅफ यूनिटी का शिलान्यास किया था। यह प्रतिमा गुजरात में नर्मदा नदी पर साधू बेट नाम के एक टापू पर बनाई गई है। इसे बनाने के लिए पूरे देश के किसानों से लोहा एकत्रित किया गया था।
लोहा जुटाने के लिए खुले 36 कार्यालय
स्टेच्यू आॅफ यूनिटी के लिए लोहा जुटाने के लिए देश भर में 36 कार्यालय खोले गए थे। प्रतिमा के निर्माण के लिए पूरे भारत से लगभग 5000 मीट्रिक टन लोहा जुटाया गया था। इस लोहे का प्रतिमा के साथ ही प्रतिमा के आसपास की जगह में भी उपयोग किया गया है।
क्या हैं विशेषताएं
- स्टेच्यू आॅफ यूनिटी दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है। इसकी ऊंचाई 182 मीटर है।
-प्रतिमा के आधार को जोड़ने पर इस मूर्ति की ऊंचाई 240 मीटर यानी 597 फुट होती है।
- इस प्रतिमा में भूकंप रोधी प्रणाली का इस्तेमाल किया गया है।
- इस पर 1700 मैट्रिक टन तांबे का लेप किया गया है।
- नदी से 500 फुट की ऊंचाई पर स्थित है इस प्रतिमा की आॅब्जरवेशन डेस्क।
- आॅब्जरवेशन डेस्क तक पहुंचने के लिए हाई स्पीड लिफ्ट भी यहां लगाई गई है।
- जहां पर यह प्रतिमा बनी है, वहां पर इसके अलावा म्यूजियम, नौका विहार, फूल प्लाजा, गिफ्ट शॉप, होटल और मनोरंजन की कई सुविधाएं मौजूद हैं।
- इस प्रोजेक्ट का सुपरविजन दुबई के बुर्ज खलीफा की प्रोजेक्ट मैनेजर कंपनी टर्नर कंस्ट्रक्शन ने किया है।
- स्टेच्यू आॅफ यूनिटी को बनाने में पूरे 4 साल लगे। अक्टूबर 2014 से इसका काम शुरू हुआ, जो अक्टूबर 2018 में पूरा हुआ।
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