देवी-देवताओं की 94 मूर्तियां, कई प्राचीन अवशेष, और भी बहुत कुछ..! ASI रिपोर्ट में भोजशाला के मंदिर होने के स्पष्ट संकेत

देवी-देवताओं की 94 मूर्तियां, कई प्राचीन अवशेष, और भी बहुत कुछ..! ASI रिपोर्ट में भोजशाला के मंदिर होने के स्पष्ट संकेत
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भोपाल:  भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने आज सोमवार (15 जुलाई) को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के समक्ष विवादित भोजशाला परिसर पर अपनी वैज्ञानिक सर्वेक्षण रिपोर्ट जमा कर दी है। इस रिपोर्ट में कई ऐतिहासिक कलाकृतियों की खोज को दर्शाया गया है, जो विवादित परिसर के मंदिर होने का स्पष्ट संकेत देती हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि सर्वेक्षण के दौरान चांदी, तांबे, एल्युमीनियम और स्टील से बने कुल 31 सिक्के मिले हैं, जो अलग-अलग समय के हैं। ये सिक्के इंडो-सासैनियन (10वीं-11वीं सदी), दिल्ली सल्तनत (13वीं-14वीं सदी), मालवा सल्तनत (15वीं-16वीं सदी), मुगल (16वीं-18वीं सदी), धार राज्य (19वीं सदी) और ब्रिटिश (19वीं-20वीं सदी) के हैं।

इसके अलावा कई दिनों तक चले सर्वेक्षण में कुल 94 मूर्तियां, मूर्तियों के अवशेष और वास्तुशिल्प तत्व भी मिले हैं। ये मूर्तियां बेसाल्ट, संगमरमर, शिस्ट, सॉफ्ट स्टोन, बलुआ पत्थर और चूना पत्थर से बनी हैं। इनमें गणेश, ब्रह्मा, नरसिंह, भैरव, अन्य देवी-देवताओं, मनुष्यों और जानवरों जैसे देवताओं की आकृतियाँ हैं। जानवरों की आकृतियों में शेर, हाथी, घोड़े, कुत्ते, बंदर, सांप, कछुए, हंस और पक्षी शामिल हैं। पौराणिक आकृतियों में कीर्तिमुख और व्याल (संयुक्त जीव) के विभिन्न रूप शामिल हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि मनुष्यों और जानवरों की कई छवियों को खराब कर दिया गया है, ताकि उनकी पहचान मिट सके। ऐसा खासकर उन इलाकों में है, जहां अब मस्जिद खड़ी हैं।

वर्तमान संरचना में पाए गए कई टुकड़ों में संस्कृत और प्राकृत शिलालेख भी हैं, जो साहित्यिक और शैक्षिक गतिविधियों का संकेत देते हैं। एक शिलालेख में परमार वंश के राजा नरवर्मन (जिन्होंने 1094-1133 ई. के बीच शासन किया) का उल्लेख है। अन्य शिलालेखों में खिलजी शासक महमूद शाह का उल्लेख है, जिन्होंने एक मंदिर को मस्जिद में बदल दिया था। ASI रिपोर्ट से पता चलता है कि भोजशाला कभी एक महत्वपूर्ण शैक्षणिक केंद्र था, जिसे राजा भोज ने स्थापित किया था। बरामद कलाकृतियों से पता चलता है कि वर्तमान संरचना पहले के मंदिरों के हिस्सों का उपयोग करके बनाई गई थी।

क्यों है विवाद :-

बता दें कि हिंदू समुदाय 11वीं शताब्दी के स्मारक भोजशाला को वाग्देवी (देवी सरस्वती) का मंदिर मानता है, जबकि मुस्लिम पक्ष इसे कमाल मौला मस्जिद कहता है। पिछले 21 वर्षों से हिंदुओं को मंगलवार को भोजशाला में पूजा करने की अनुमति है, जबकि मुसलमानों को शुक्रवार को यहां नमाज अदा करने की अनुमति है। मामले में याचिकाकर्ता हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस ने इस व्यवस्था को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। जिसके बाद 11 मार्च को उच्च न्यायालय ने 'हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस' के आवेदन पर एएसआई को परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने का आदेश दिया था। ASI को सर्वेक्षण पूरा करने के लिए छह सप्ताह का समय दिया गया था। एएसआई ने 22 मार्च को विवादित परिसर का सर्वेक्षण शुरू किया था जो हाल ही में समाप्त हुआ। 4 जुलाई को उच्च न्यायालय ने एएसआई को विवादित स्मारक परिसर में लगभग तीन महीने तक चले सर्वेक्षण की पूरी रिपोर्ट 15 जुलाई तक पेश करने का आदेश दिया था। उच्च न्यायालय इस मामले की सुनवाई 22 जुलाई को करेगा।

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