नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की बेंच ने याचिका को जनहित की बजाय “प्रचार हित याचिका” करार देते हुए याचिकाकर्ता पर 1 लाख रुपए जुर्माना लगाया है. इसके साथ ही अदालत ने याचिका को खारिज भी कर दिया है. उच्च न्यायालय ने कहा है कि यह याचिका नहीं प्रचार हित याचिका है.
रिपोर्ट के अनुसार, उच्च न्यायालय ने कहा कि यह याचिका संविधान के विरुद्ध है और इसलिए इसे खरिज किया जाता है. दरअसल, ग्राम उदय फाउंडेशन के अध्यक्ष संजीव कुमार तिवारी की तरफ से हाई कोर्ट में यह PIL दाखिल की गई थी. याचिकाकर्ता संजीव कुमार तिवारी ने अपनी जनहित याचिका में दलील दी थी कि CJI चंद्रचूड़ की नियुक्ति संविधान के प्रावधानों के उल्लंघन में की गई है.
याचिकाकर्ता ने जस्टिस चंद्रचूड़ की CJI के रूप में नियुक्ति पर फौरन रोक लगाने की प्रार्थना की थी. संजीव तिवारी अपने आप को भारत के राष्ट्र का एक अच्छी तरह से प्रशिक्षित बुद्धिमान आम नागरिक कहते हैं. जनहित याचिका में कहा कि नए CJI के खिलाफ सुरक्षा एजेंसियों द्वारा जांच की जानी चाहिए, ताकि यह पता लगाया जा सके कि उनका देशद्रोही और नक्सली ईसाई आतंकवादियों से कोई ताल्लुक तो नहीं है.
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