नई दिल्ली: वर्ष 2012 में टीबी (ट्यूबरक्लोसिस) को सूचनात्मक रोग घोषित करने के बाद अब मोदी सरकार ने 2025 तक भारत को टीबी मुक्त देश बनाने की दिशा में सख्त कदम उठाया है. इसके तहत अब अगर डॉक्टर, अस्पताल प्रबंधन या दवा दुकानदार, टीबी के मरीज की सूचना नोडल अधिकारी और स्थानीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता के साथ साझा नहीं करते हैं तो उन्हें जेल की हवा खाना पड़ सकती है.
एक अख़बार के मुताबिक टीबी के मरीज की जानकारी छुपाने वाले डॉक्टर, अस्पताल यहाँ तक की इस मर्ज की दवा बेचने वाले दुकानदार पर भी, जानकारी छुपाने के जुर्म में आईपीसी की धारा 269 और 270 के तहत कार्रवाई की जाएगी. जिसमे उन्हें 6 महीने से लेकर 2 साल तक की जेल भी हो सकती है. मंत्रालय ने प्रयोगशाला और अस्पताल में प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टरों को, अस्पताल, क्लिनिक और नर्सिंग होम प्रबंधन को रिपोर्टिंग करने के लिए एक अलग प्रारूप जारी किया है. जिसके अंतर्गत टीबी मरीज का नाम और पता, उन्हें दी जाने वाली चिकित्सीय सुविधा, नोडल अधिकारी और स्थानीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता को दी गई जानकारी की सूचना और जिला स्वास्थ्य अधिकारी या सीएमओ का नाम तक की जानकारी चिकित्साकर्मियों द्वारा देनी होगी.
गौरतलब है कि 2012 में सूचनात्मक रोग घोषित हो चुका था, लेकिन अब तक इसकी जानकारी न देने पर किसी तरह की सजा का प्रावधान नहीं था, जिस कारण इस पर अमल नहीं किया जा रहा था और सरकार को टीबी मरीजों से जुड़े आंकड़े नहीं मिल पा रहे थे. एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में प्रतिवर्ष टीबी से मरने वाले मरीजों की संख्यां 4 लाख 80 हजार है. इसके अलावा साल में तकरीबन 10 लाख से अधिक मरीजों की जानकारी सरकार के पास नहीं होती है.
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