भारत सरकार द्वारा चलाये जाने वाला अभियान, स्वच्छता अभियान "जहां सोच वहां शौचालय" को वास्तव में एक चौथी क्लास में पढ़ने वाली बच्ची ने समझा और आने वाली पीडियों के लिए मिसाल बनी. दरअसल स्कूल के स्वच्छता अभियान के तहत श्वेता से पूछे गए एक सवाल ने उसे इतना आहात किया कि उसने पिता से कह दिया कि जब तक घर में शौचालय नहीं बनेगा वो स्कूल नहीं जाएगी, पिता को मजबूरन शौचालय बनवाना पड़ा.
अब श्वेता न सिर्फ वापस स्कूल जाने लगी है बल्कि जिले में स्वच्छता अभियान का चेहरा बनकर सामने आई है. 10 साल की श्वेता कक्षा चौथी की छात्रा है. स्कूल में स्वच्छता अभियान के तहत सभी बच्चों से कुछ सवालों के जवाब पूछे गए थे, इनमें हाथ धोने से लेकर, उबला पानी पीने और शौचालय में जाने जैसे सवाल शामिल थे. श्वेता ने शौचालय के इस्तेमाल वाला कॉलम खाली रखा था.
स्कूल के शिक्षक ने जब इसकी वजह पूछी तो श्वेता ने बताया कि उसके घर में शौचालय नहीं है. मास्टरजी के मुताबिक इसके बाद अचानक श्वेता ने तीन दिन की छुट्टी मांगी. स्कूल से छुट्टी लेते ही उसने पिता को बताया कि जब तक अपना शौचालय नहीं होगा, वह स्कूल नहीं जाएगी. स्कूल के शिक्षकों ने भी उसे समझाने की कोशिश की लेकिन उसने एक न सुनी. मजबूरन पिता को शौचालय बनवाना ही पड़ा.
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