नीति नहीं बनने से अटकी धान की खरीदी

नीति नहीं बनने से अटकी धान की खरीदी
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गिरिडीह :  सरकारी नीति नहीं बनने के कारण धान की फसल की खरीदी बीच अधर में अटक गई है। किसानों का कहना है कि धान की फसल कटकर तैयार है लेकिन लगभग एक माह होने के बाद भी सरकारी एजेंसी की तरफ से नीति नहीं बनाई जा सकी। इसे लेकर किसानों ने आक्रोश व्यक्त किया है। 
हालांकि यह बात अलग है कि सरकारी अधिकारी किसानों को गुमराह करने का काम कर रहे है।

किसानों का आरोप है कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं मुहैया कराई जा रही है कि आखिर फसल की खरीदी का सिलसिला कब से शुरू होगा। किसानों का यह भी कहना है कि सरकारी ने भले ही 1600 रूपये प्रति क्विंटल धान की कीमत तय कर रखी हो, लेकिन इसके बाद भी व्यापारियों द्वारा 800 से 900 रूपये प्रति क्विंटल ही धान की खरीदी की जाती है।

किसानों का कहना है कि उपज नहीं बेचेंगे तो उन्हें न केवल आर्थिक परेशानी खड़ी होगी वहीं आगामी फसल के लिये भी परेशानी आती है। किसानों ने यह भी बताया कि दिसंबर के अंत तक धान केन्द्र खोला जाता तो है लेकिन भुगतान करने में देरी इतनी हो जाती है कि उन्हें मजबूरीवश व्यापारियों को कम दामों में उपज बेचना  पड़ती है।

जैव कृषि संरक्षण पर गंभीरता से...

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