MBBS के लिए छात्रा ने रची खौफनाक साजिश, खुलासा होते ही रह गए सब दंग

MBBS के लिए छात्रा ने रची खौफनाक साजिश, खुलासा होते ही रह गए सब दंग
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इंदौर: राजस्थान के कोटा में अपहरण एवं 30 लाख की फिरौती के मामले में शातिर छात्रा 2 प्रदेशों की पुलिस को 15 दिन तक चकमा देती रही। मध्य प्रदेश के शिवपुरी की रहने वाली शातिर छात्रा काव्या धाकड़ को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया तथा बुधवार को कोटा लेकर पहुंची। पुलिस ने बताया कि रूस से MBBS करने के लिए काव्या ने ही सारी साजिश रची थी। शिवपुरी की रहने वाली 21 वर्षीय काव्या धाकड़ एवं उसके दोस्त हर्षित यादव को इंदौर पुलिस ने मंगलवार रात को पकड़ लिया था। दोनों देवगुराडिया के पास इंडेक्स मेडिकल कॉलेज के पास से एक किराए के कमरे में रह रहे थे। खबर प्राप्त होने के पश्चात् रात को ही कोटा पुलिस इंदौर के लिए रवाना हो गई तथा वहां कानूनी कार्रवाई के पश्चात् दोनों को लेकर बुधवार दोपहर लगभग ढाई बजे कोटा पहुंची। छात्रा और उसके दोस्त को विज्ञान नगर थाने में रखा गया है।

साजिश के मुताबिक, दोस्त हर्षित यादव और विजेंद्र प्रताप के साथ काव्या 16 मार्च को जयपुर गई। 17 मार्च को होटल में ठहरी तथा 18 मार्च को काव्या ने नई सिम खरीदी। फिर दोस्तों से उसके पिता को उसका अपहरण होने तथा 30 लाख रुपए की मांग करने को बोला। इसके लिए उसने अपने हाथ पैर बांधे तथा चोट लगी फोटो भेजी। जब काव्या को पता चला कि उसके पिता इस मामले में एसपी इंदौर को सूचना देने जा रहे हैं, तो वह डर गई। वह अपने दोस्तों के साथ इंदौर आ गई। मामला मीडिया में हाईलाइट होने पर वह अपने दोस्त हर्षित यादव के साथ 19 मार्च को इंदौर से चंडीगढ़ तथा वहां से अमृतसर चली गई। वहां 6 दिन तक दोनों स्वर्ण मंदिर गुरुद्वारे में रुके तथा लंगर में खाना खाया। पैसे खत्म होने पर दोनों 28 मार्च को इंदौर आ गए। यहां देव गुराडिया इलाके में किराए से कमरा लेकर रहने लगे, जहां से पुलिस ने दोनों को पकड़ लिया।

कोटा सिटी एसपी डॉ। अमृता दूहन ने बताया- काव्या ने खुद ही यू-ट्यूब से रूस में लगभग 30 लाख में MBBS कर लेने की जानकारी ली। फिर दोस्त विजेंद्र प्रताप और हर्षित यादव के साथ मिलकर अपने पिता से रुपए ऐंठने की साजिश रची। तीनों ने अपहरण की झूठी कहानी बनाई। दोस्त विजेंद्र प्रताप के कमरे पर इंदौर में ही इसका वीडियो बनाया तथा हाथ-पैर बांधकर फोटो भी खींची। काव्या को पता था कि उसके पिता ने हाल ही में प्लॉट बेचा है। ऐसे में वह अपहरण का बोलने पर रुपये दे देंगे। वह रसिया में जाकर MBBS की डिग्री लेकर आने के पश्चात् पिता को राजी कर लेगी, किन्तु उसकी साजिश फेल हो गई। इससे वह घबरा गई। छात्रा से प्रारंभिक पूछताछ में सामने आया कि वह अपनी मां के साथ 2 अगस्त को कोटा में कोचिंग करने के लिए आई थी। उसने विज्ञान नगर में एक हॉस्टल में रूम लिया था। मां के जाने के 2 दिन पश्चात् ही उसने हॉस्टल छोड़ दिया तथा इंदौर चली गई। वहां पहले की भांति पढ़ने लगी। उसका कोटा की किसी कोचिंग तथा हॉस्टल से कोई लेना-देना नहीं था। 

कोटा पुलिस की मानें, तो 18 मार्च को छात्रा के किडनैप की बात सामने आई थी। मुकदमा दर्ज कर तफ्तीश आरम्भ की, तो मोबाइल लोकेशन इंदौर में मिली। इंदौर पुलिस की सहायता से कोटा पुलिस ने छात्रा और उसके साथ दिखाई दिए हर्षित की तलाश में टीमें लगाई। छात्रा के एक दोस्त विजेंद्र को पड़कर पूछताछ की, तो उसने बताया कि छात्रा ने अपहरण का झूठ बोला है। बिजेंद्र ने बताया कि उसकी तस्वीर किचन में मोबाइल से खींची गई थी। यह खबर प्राप्त होने के बाद भी छात्रा के मिलने पर ही सारी बातों की पुष्टि हो सकती थी। लिहाजा, पुलिस निरंतर उनके पीछे लगी रही। इस बीच छात्रा और हर्षित ट्रेन से चंडीगढ़ और वहां से अमृतसर पहुंचे। वहां गुरुद्वारे में रहे और लंगर में खाते रहे। फिर 28 मार्च को छात्रा अपने दोस्त के साथ इंदौर लौट आई। इसकी खबर प्राप्त होने पर इंदौर अपराध शाखा टीम ने मौके पर दबिश देकर छात्रा तथा हर्षित को पकड़ लिया। 

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