जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी एक बार फिर विवादों में है. देश की सबसे प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान ने चार स्टूडेंट्स को कैंपस के अंदर पकौड़ा तलने के जुर्म में अनुशासनहीनता का हवाला देते हुए 20-20 हजार रुपये का जुर्माना भरने की सजा सुना दी है.सजा के तौर पर एक छात्र को हॉस्टल से निकाल दिया गया है, जबकि तीन स्टूडेंट्स का हॉस्टल बदल दिया गया है.साल के शुरुआत में पीएम मोदी ने फरवरी महीने में पकौड़ा बेचने को रोजगार बता दिया था जिसका ये स्टूडेंट विरोध कर रहे थे. सेंटर फॉर इंडियन लैंग्वेजेज के छात्र मनीष कुमार मीणा ने कहा कि वो पीएम मोदी के पकौड़ा तलने वाले बयान से बेहद नाराज थे. लिहाजा उसका विरोध करने के लिए पकौड़े तल रहे थे. एमफिल के छात्र मनीष कुमार मीणा राजस्थान के रहने वाले है. मामले में मनीष कुमार मीणा के खिलाफ जांच भी शुरू की गई है.
पकौड़े को लेकर पहले भी सियासी गलियारों में बहुत कुछ हो चूका है. गौरतलब है कि फरवरी में एक टीवी इंटरव्यू के में पीएम मोदी ने रोजगार सृजन से जुड़े एक सवाल के जवाब में कहा था कि अगर कोई पकौड़ा बेचकर हर रोज 200 रुपये कमाता है, तो उसे भी नौकरी के तौर पर देखा जाना चाहिए. पीएम के इसी बयान पर कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने जमकर हमला बोला था.
इसके बाद बीजेपी अध्यक्ष और सांसद अमित शाह ने पीएम मोदी के पकौड़ा बेचने वाले बयान का समर्थन किया था. राज्यसभा में अपना पहला भाषण देते हुए शाह ने कहा था कि पकौड़ा बनाना कोई शर्म की बात नहीं है. पकौड़ा बनाना नहीं बल्कि, उसकी तुलना भिखारी के साथ करना शर्म की बात है. इस पर पहली प्रतिक्रिया के रूप में पी. चिदंबरम ने कहा था की यदि पकौड़ा तलना नौकरी है तो भीख मांगना क्या हुआ.
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