बेंगलुरु : कोरोना संक्रमण ने जहां लोगों के जीने का तरीका चेंज कर दिया है साथ ही कई बदलाव भी देखने को मिल रहे है. इस दौरान कर्नाटक के बेंगलुरु में पढ़ाई को लेकर नया ट्रेंड सामने आया हैं. पहले जहां गवर्नमेंट विद्यालय छोड़कर बच्चे प्राइवेट विद्यालयों में भर्ती लेते थे, वहीं अब ग्रामीण क्षेत्रों में यह उल्टा दिख रहा है. बच्चों के नाम निजी विद्यालयों से हटवाकर गांव के स्थानीय गवर्नमेंट विद्यालयों में लिखवाया जा रहा है.
इस चेंज को लोग खराब आर्थिक स्थिति से जोड़कर देख रहे हैं. बोला जा रहा है कि कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन से लोगों की इनकम प्रभावित हुई है. वहीं, कुछ पेरेंट्स का सोचना है कि मोबाइल पर ऑनलाइन क्लासेस से अच्छा है बच्चा छोटे से गवर्नमेंट विद्यालय में जाकर पढ़े.
बता दें की कर्नाटक के गवर्नमेंट स्कूलों में विद्यागामा प्रॉजेक्ट के तहत पढ़ाई करवाई जा रही है. इस प्रॉजेक्ट के तहत गवर्नमेंट विद्यालयों की क्लासेस गांव के समीप ही मैदानों, मंदिरों, खेल के मैदानों या कम्युनिटी हॉल्स में चलाई जा रही हैं. वहीं प्राइवेट स्कूल कोरोना संक्रमण के वजह से बंद हैं. चामनगर डिस्ट्रिक्ट में अकेले सात सौ से आठ सौ बच्चों ने प्राइवेट स्कूलों की पढ़ाई छोड़ दी है और गवर्नमेंट स्कूलों में प्रवेश ले लिया है. शिक्षा डिपार्टमेंट के अफसर एसडी जवारे गौड़ा ने इस संबंध में बताया, 'विद्यागामा प्रोग्राम की पैरंट्स तारीफ कर रहे हैं. प्राइवेट विद्यालय ऑनलाइन क्लासेस करवा रहे हैं, कई पेरेंट्स मोबाइल और इंटरनेट का खर्चा नहीं उठा सकते हैं. कई बच्चे टीचरों से डायरेक्ट कांटेक्ट की कक्षा न होने के वजह से पढ़ नहीं पा रहे हैं. इस योजना के तहत टीचर बच्चों को सामने बैठा कर पढ़ा रहे है.'
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