महात्मा गांधी की लाड़ली थी सुभद्रा कुमारी चौहान

महात्मा गांधी की लाड़ली थी सुभद्रा कुमारी चौहान
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देश की स्वतंत्रता के लिए वे कांग्रेस (उस वक़्त राजनीतिक दल नहीं, आजादी प्राप्त करने के लिए एक संस्था मात्र थी) की सदस्य बनीं एवं महात्मा गांधी की लाड़ली रहीं। वे सेंट्रल प्रोविंस से विधानसभा की भी सदस्य रही थीं। सुभद्रा जी के भाषणों की वजह से जिस तरह से देश में देश भक्ति का ज्वार पैदा हो रहा था, उसके चलते अंग्रेजो ने सुभद्रा जी को नागपुर में न्यायालयीन हिरासत में लिया गया। स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय तौर पर हिस्सा लेने के लिए सुभद्रा कुमारी चौहान को अनेक बार अंग्रेजो की प्रताड़ना का शिकार होना पड़ा और अनेक बार जेल यातनाएं भी भोगीं, मगर इसके बाद भी उनके मन में आजादी पाने की चाहत कमजोर नहीं हुई। यही भाव उनकी कविताओं के जरिए प्रकट हुए। जो चिरस्थायी की भांति आज भी मन को झंकृत कर देने वाली हैं। वीरोचित भाव को प्रकट करने वाली उनकी अमर कविता को देखिए-

सिंहासन हिल उठे, राजवंशों ने भृकुटी तानी थी,
बूढ़े भारत में भी आई, फिर से नई जवानी थी,
गुमी हुई आजादी की कीमत सबने पहचानी थी,
दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी, वह तो झांसी वाली रानी थी।

इसी तरह बच्चों में देश भाव को जगाने वाली बहुत ही प्रेरणादायी बाल कविताएं भी सुभद्रा कुमारी चौहान ने लिखी हैं। इन रचनाओं में उनकी राष्ट्रीय भावनाएं प्रकट हुई हैं। हिन्दी के सुपरिचित हस्ताक्षर गजानन माधव मुक्तिबोध ने सुभद्रा कुमारी चौहान के राष्ट्रीय काव्य को हिंदी में बेजोड़ माना है- उन्होंने उस राष्ट्रीय आदर्श को जीवन में समाया हुआ देखा है, उसकी प्रवृत्ति अपने अंत:करण में पाई है।

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