कोच्ची: भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक सुरेंद्रन के पटेल ने अमेरिका के टेक्सास प्रांत में डिस्ट्रिक्ट जज बनकर इतिहास रच दिया है। एक गरीब मजदूर परिवार में जन्मे सुरेंद्रन की कहानी किसी फिल्मी कहानी जैसी लगती है। सुरेंद्रन ने 10वीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी और फिर वे गरीबी के कारण बीड़ी मजदूर बन गए थे। लेकिन, इसके बाद, उनकी किस्मत पलटी और वह अमेरिका चले गए।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, सुरेंद्रन के पटेल का जन्म केरल के कासरगोड में एक दिहाड़ी श्रमिक के घर हुआ था। सुरेंद्रन का बचपन बेहद गरीबी से गुजरा। वह घर खर्च में हाथ बंटाने के लिए अपनी बहन के साथ बीड़ी बनाने का काम करने लगे थे। घर की हालत खराब होने की वजह से उन्होंने 10वीं के बाद पढ़ाई छोड़ दी और फुल टाइम बीड़ी मजदूर बन गए। हालाँकि, पढ़ाई में एक साल का ब्रेक होने के बाद सुरेंद्रन ने वापस पढ़ाई शुरू की और इके नायनार मेमोरियल गवर्नमेंट कॉलेज में दाखिला लिया। लेकिन, गरीबी के कारण वे इस दौरान भी बीड़ी बनाने का काम करते थे, इसलिए कॉलेज में उनकी अटेंडेंस पूरी नहीं हुई। इस कारण उन्हें परीक्षा में बैठने नहीं दिया गया। मगर, इसके बाद उन्होंने कॉलेज के टीचर्स से परीक्षा में बैठने की इजाजत माँगी।
पटेल बताते हैं कि, 'अगर मैं टीचर्स को बताता कि मैं बीड़ी बनाने वाला मजदूर हूँ। तो, शिक्षकों के मन में मेरे लिए सहानुभूति होती। मगर, मैंने इस बारे में बात न करते हुए उनसे कहा कि अगर परीक्षा में मेरे अच्छे नंबर नहीं आए, तो मैं पढ़ाई छोड़ दूँगा।' हालाँकि, जब परिणाम आया तो सुरेंद्रन ने टॉप किया था। इसके बाद, टीचर्स ने उनका काफी सपोर्ट किया। इस वजह से उन्होंने ग्रेजुएशन में भी टॉप किया। चूँकि, सुरेंद्रन वकील बनने की कोशिश कर रहे थे और कालीकट गवर्नमेंट लॉ कॉलेज से LLB करना चाहते थे। मगर, आर्थिक तंगी की वजह से उन्हें यहाँ भी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। कॉलेज के पहले साल तो उन्हें कुछ दोस्तों से सहायता मिल गई। इसी बीच उन्होंने एक होटल में हाउस-कीपिंग का काम करना शुरू कर दिया।
वर्ष 1995 में कानून की डिग्री लेने के बाद उन्होंने केरल के होसडर्ग में प्रैक्टिस आरम्भ की और निरंतर सफलता हासिल करते चले गए। इसके बाद, वर्ष 2004 में उन्होंने सुधा नामक एक जूनियर वकील के साथ विवाह कर लिया। बाद में, सुधा की नौकरी स्टाफ नर्स की नौकरी लग गई और वह दिल्ली शिफ्ट हो गए। दिल्ली में ही वह सर्वोच्च न्यायालय में प्रैक्टिस करने लगे। इसके बाद उनकी पत्नी सुधा की जॉब अमेरिका के ह्यूस्टन में लग गई। पत्नी की नौकरी ह्यूस्टन में लगने के चलते दोनों अमेरिका चले गए।
अमेरिका में सुधा तो अपनी नौकरी करतीं थीं, मगर सुरेंद्रन पटेल एक किराना दुकान में काम करते थे। इसके बाद, उन्होंने अमेरिका में भी बतौर वकील प्रैक्टिस करना आरम्भ कर दिया। जहाँ उन्हें सफलता भी मिलने लगी। इसके बाद उन्हें अहसास हुआ कि वह जज बन सकते हैं। चूँकि, उनकी पत्नी वहाँ नौकरी में थीं, इसलिए उन्होंने अमेरिका की नागरिकता लेने की कोशिश की। सौभाग्य से वर्ष 2017 में उन्हें अमेरिका की नागरिकता भी मिल गई।
वर्ष 2020 में उन्होंने जज बनने के लिए पहली बार प्रयत्न किया। हालाँकि, पहली बार में उन्हें सफलता नहीं मिली। मगर, सुरेंद्रन पटेल ने हार नहीं मानी। वर्ष 2022 में उन्होंने एक बार फिर दावेदारी पेश की। हालाँकि, कई लोगों ने उन्हें जज बनने का सपना छोड़ देने को कहा। लेकिन, सुरेंद्रन ने तो कुछ और ही सोच रखा था। तमाम प्रयासों के बाद डेमोक्रेटिक पार्टी ने उन्हें अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया। जहाँ चुनाव में उन्होंने विपक्षी रिपब्लिकन उम्मीदवार को हराते हुए जीत हासिल की। लगातार बढ़ते कद और निरंतर कोशिशों से आखिर सुरेंद्रन का सपना सच हुआ और वे अमेरिकी राज्य टेक्सास के 240वें जिला न्यायाधीश बन गए।
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