उत्तर कोरिया से बड़ी खबर आ रही है कि वहां दक्षिण कोरियाई फ़िल्में देखने वाले दो लड़कों को मौत की सजा मिली। उन्हें सबके सामने एक मैदान में मारा गया जिससे बाकियों को भी सबक मिले। एक तरफ तो इस देश में वेस्ट और दक्षिण कोरिया से इतनी नफरत नजर आती है, दूसरी ओर किम जोंग के ही पिता ने एक साउथ कोरियाई अभिनेत्री एवं उनके निर्देशक पति को अगवा करवा लिया था जिससे नॉर्थ कोरिया में भी बेहतरीन फिल्में बन सकें।
बात 1966 की है, जब किम जोंग इल उत्तर कोरिया के आर्ट डिवीजन के निर्देशक बन गए। इल को फिल्मों का भारी शौक था। आरम्भ में वे ऐसी फिल्में बनवाते, जिसमें उनके खानदान की तारीफें हों। आहिस्ता-आहिस्ता इल इससे ऊबने लगे। वे चाहते थे कि उनके देश में ऐसी फिल्में बनें, जिसे पश्चिम भी देखे। मजेदार बात है कि इल को पश्चिम से खासी नफरत थी तथा देश में अमेरिकी या साउथ कोरियाई फिल्मों पर प्रतिबंध था। कोरियाई मामलों के विशेषज्ञ लेखक ब्रेडली के मार्टिन ने अपनी किताब 'द लविंग केयर ऑफ फादरली लीडर' में इल के गुस्से का जिक्र किया है। इल फिल्म बनाने वालों को सजा देने लगे क्योंकि वे वेस्ट जैसी फिल्में नहीं बना पा रहे थे। फिर उन्हें एक नया तरीका सूझा। क्यों ने दक्षिण कोरिया के ही किसी फिल्म डायरेक्टर और किसी हीरोइन को उठा लिया जाए जिससे उनके यहां भी उम्दा फिलिमन बन सकें।
वही उस समय में चोउ-अन-हि साउथ कोरियन फिल्मों का सबसे बड़ा नाम थीं। उन्हें एक फिल्म डील के बहाने हांगकांग बुलाया गया, जहां एक स्पीड बोट उनकी प्रतीक्षा कर रही थी। यहीं से उन्हें अगवा किया गया तथा नॉर्थ कोरिया की एक इमारत में कैद कर लिया गया। ये जनवरी 1978 की बात है। बाद में बचकर भागी अभिनेत्री ने एक ब्रिटिश डॉक्युमेंट्री में बताया कि उन्हें एक आलीशान इमारत में कैद रखा गया था, जिसे बाकी लोग बिल्डिंग नंबर 1 कहते। आरम्भ में उन्हें बाहर भी नहीं निकलने दिया गया। कुछ दिन पश्चात् इल खुद आए और उन्हें अपने देश की सारी आवश्यक चीजें दिखाने ले गए। बकौल अभिनेत्री तानाशाह कुछ इस प्रकार से बात करता था, मानो वे अपहरण करके नहीं, बल्कि अपनी इच्छा से उनके देश आई हों। कुछ वक़्त पश्चात् अभिनेत्री के पास एक प्राइवेट ट्यूटर आया, जिसने उन्हें नॉर्थ कोरियाई लीडरों की कामयाबियां बतानी शुरू कीं। इल चाहते थे कि अभिनेत्री सबकुछ समझ जाए और उसी हिसाब से नई फिल्में बनाई जाएं।
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