उज्जैन/ब्यूरो। महाकाल प्रांगण में सुंदरता को प्रकट करने वाले पौधे भी रोपे जा रहे हैं। ये पौधे आंध्रप्रदेश के राजमुंद्री से मंगवाए गए हैं। कहा जा रहा है कि पूरे प्रांगण में छोटे-बड़े मिलाकर कुल 52 हजार पौधे रोपे जाएंगे। इससे नवविकसित क्षेत्र की सुंदरता और अधिक बढ़ेगी। पूरा प्रयास किया जा रहा है कि महाकाल मंदिर क्षेत्र की आबो-हवा शुद्ध हो।
महाकालेश्वर मंदिर परिसर के नवनिर्मित क्षेत्र में भगवान शिव को प्रिय रूद्राक्ष, शमी पत्र, बिल्व पत्र, अर्क, कैलाशपति आदि के 18 हजार पेड़-पौधे रोपे जा रहे हैं। यहां आए श्रद्धालुओं को पेड़, पशु, पक्षी बचाने का संदेश मिलेगा। इसके लिए प्रांगण में अष्टभैरव की विशाल मूर्तियां उनके प्रतिनिधि वाहन (जो पशु या पक्षी हैं) के साथ स्थापित की हैं।
काल भैरव के साथ श्वान, श्रीक्रोध भैरव के साथ बाज, श्री संहार भैरव के साथ श्वान, श्री रूरू भैरव के साथ बैल, श्री कपाल भैरव के साथ हाथी, श्री असिताड्ग भैरव के साथ हंस, श्री चंडभैरव के साथ मयूर, भीषण भैरव के साथ सिंह की मूर्ति स्थापित की है। सभी मूर्तियां फाइबर रेनफोर्सड प्लास्टिक से निर्मित हैं। विद्धानों का मत है कि देवी-देवताओं के वाहन के रूप में पशु-पक्षियों को अध्यात्मिक, वैज्ञानिक और व्यावहारिक कारणों से जोड़ा है। प्रत्येक पशु, पक्षी किसी न किसी देवी-देवता का प्रतिनिधि है, उनका वाहन है। मालूम हो कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 11 अक्टूबर को महाकालेश्वर मंदिर परिसर में हुए नवनिर्माण कार्यों का उद्धाटन करने आ रहे हैं। उनके आगमन और उद्घाटन के मद्देनजर मंदिर परिसर को सजाया जा रहा है।
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