जब किसी महीने की शुरूआत होती है, तो हर इंसान अपनी आने वाली सैलरी के लिए खुश होता है और इसके साथ ही वह उस पूरे महीने का खर्चा जोड़ कर रख लेता है। लेकिन समस्या तो तब पैदा होती है, जब इन खर्चों के अलावा इंसान के ऊपर मुसीबत आ जाती है और उसे इस बजट में से ही अन्य खर्चा करना पड़ता है, इससे उसका पूरे महीने का बजट बिगड़ जाता है। इस समस्या को ही आमतौर पर आकस्मिक धन हानि योग कहते हैं। यह योग किसी भी इंसान के जीवन में बन सकता है। तो चलिए आज हम इसी विषय के बारे में आपसे चर्चा करते हैं, यहां पर हम जानेंगे कि आखिर आकस्मिक धन हानि योग कब और कैसे बनता है?
काम-धंधे, व्यापार-व्यवसाय में, नौकरी में या कृषि में कोई कार्य ऐसा हो जाता है कि आकस्मिक धन की हानि उठानी पड़ती है।
गोचर में राहु का अष्टम भाव में भ्रमण हो या राहु या अन्य पाप गृह स्थित हो, तो जातक को अचानक धन की हानि होती है।
मनुष्य के जीवन में आकस्मिक दुर्घटनायें होती हैं और इन योगों के कारण धन का काफी नुकसान होता है।
गुरु द्वादश भाव में हो एवं धनेश बलहीन हो तथा लग्न पर शुभ गृह की दृष्टि न हो।
अष्टम भाव में कोई गृह नीच का हो एवं अस्तगत हो।
यदि धनेश अष्टम, द्वादश भाव में होकर पापग्रस्त हो।
अष्टम भाव में कोई गृह वक्री होकर स्थित हो।
अष्टमेश वक्री होकर कहीं भी स्थित हो।
अष्टमेश शत्रु क्षेत्री हो।
धन हानि, दुर्घटना से रक्षा हेतु कुछ उपाय- केले के वृक्ष की जड़ गुरुवार के दिन सोने के ताबीज में भरकर पीले धागे के साथ गले में धारण करें। पीले कनेर के फूल रोजाना गुरु प्रतिमा या चित्र पर चढ़ायें। गुरुवार के दिन पीले वस्त्र मंदिर में दान करें।
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