आचार्य चाणक्य ने ऐसे धन का वर्णन किया है जो मनुष्य के पास अधिक वक़्त तक नहीं ठहर पाता है। आचार्य चाणक्य के अनुसार, ऐसा पैसा अधिक से अधिक कुछ वर्षों तक ही आदमी के पास रह सकता है। आचार्य चाणक्य बताते हैं कि अन्याय से कमाया हुआ धन अधिक से अधिक 10 वर्ष तक आदमी के पास ठहरता है।
आचार्य चाणक्य के मुताबिक, ग्यारहवां वर्ष आरम्भ होते ही ब्याज और मूल समेत नष्ट हो जाता है। चाणक्य के इस कथन का आज के जमाने का मतलब यही है कि ऐसा पैसा लंबे वक़्त तक आपकी जेब में नहीं टिक पाता है। चाणक्य बताते हैं कि ऐसा धन आपके घर तो आता है मगर किसी ने किसी माध्यम से वापस चला जाता है।
वही जो लोग इस प्रकार का धन कमाते हैं उन लोगों के घरों में कभी बरकत नहीं होती है। माहौल खुशहाल नहीं रहता है। वहीं जो आदमी ईमानदारी के साथ अपना धन कमाता है वह कभी किसी बात की चिंता से नहीं घिरा रहता है। ऐसे आदमी का एक रुपया भी दो के बराबर होता है। समाज में ऐसे आदमी का नाम-सम्मान भी बहुत होता है।
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