नई दिल्ली: सुदर्शन टीवी मामले की सुनवाई करते हुए देश की सबसे बड़ी अदालत ने कहा है कि देश विभाजनकारी एजेंडे के साथ नहीं रह सकता है. न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ ने सुदर्शन टीवी पर UPSC और मुस्लिमों पर आधारित कार्यक्रम पर रोक लगाते हुए कहा कि शीर्ष अदालत परमाणु मिसाइल जैसी चीज पर रोक लगा रहा है.
अदालत ने कहा है कि यह मुद्दा मूलरूप से सियासी है और हम यह बहाना नहीं कर सकते हैं कि कानूनी रूप से इसे हल किया जाएगा. पिछले दो दशकों ने हमें सिखाया है कि हमारा अति आत्मविश्वास कि मूलरूप से सामाजिक और सियासी समस्याओं को कानून के माध्यम से सुलझा लिया जाएगा अक्सर नाकाम साबित होता रहा है. 'सरकारी सेवाओं में मुस्लिमों की घुसपैठ' का खुलासा करने का दावा करने वाले सुदर्शन टीवी के कार्यक्रम पर आपत्ति जाहिर करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि मीडिया को इस बात का संदेश अवश्य जाना चाहिए कि खोजी पत्रकारिता के नाम पर किसी खास समुदाय को टारगेट नहीं किया जा सकता है.
सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि देश इस ऐसे विभाजनकारी एजेंडे के साथ नहीं रह सकता है. अदालत ने इस मामले में सूचना प्रसारण मंत्रालय और नेशनल ब्रॉडकास्ट एजेंसी पर बयान देने के साथ ही इलेक्ट्रानिक मीडिया के 'आत्म-अनुशासन' पर भी राय मांगी है. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से संबंधित मुद्दों पर बड़े स्तर पर मंथन किया जा रहा है. न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने सॉलिसिटर जनरल से सुझाव मांगते हुए कहा कि, 'आत्म-अनुशासन लाने के लिए ये एक अच्छा अवसर है.'
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