नई दिल्ली: भारत में मुस्लिमों की बड़ी संस्था जमीयत उलेमा हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी के एक बयान पर सूफी इस्लामिक बोर्ड ने आपत्ति जताई है. सूफी इस्लामिक बोर्ड के राष्ट्रीय प्रवक्ता कशिश वारसी ने मदनी के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इस्लाम भारत का मूल मजहब नहीं है. यहां का मूल मजहब सनातन है और जहां तक महमूद मदनी की बात है, तो वह फतवे की फैक्ट्री हैं. कशिश वारसी ने यह प्रतिक्रिया मदनी के उस बयान पर दी है, जिसमें मदनी ने दावा किया था भारत, इस्लाम की धरती है. यहां इस्लाम बाहर से नहीं आया. इस पर कशिश वारसी ने दावा किया कि हिंदुस्तान में इस्लाम, अरब से आया था.
रिपोर्ट के अनुसार, सूफी इस्लामिक बोर्ड के नेता कशिश वारसी ने कहा कि हिंदुस्तान का मूल मजहब सनातन है. भारत में इस्लाम सबसे पहले आने वाले मुस्लिम लेकर आए. हजरत मतालतुल औलिया, मकर्बुर शरीफ एक बुजुर्ग आए, उसके बाद भारत में अरब से कासिम बिन मालिक केरल पहुंचे. उसके बाद रसूले करीम सल्लह आला पाक के ख्वाजा गरीब नवाज भारत आए. जिन्होंने इस्लाम को भारत में फैलाया. उनके ही किरदार से और अच्छे बर्ताव से इस्लाम हिंदुस्तान में फैला है. उन्होंने कहा कि आज देश में जो सरकार है, वह किसी भी मुस्लिम को बाहर का नहीं मानती.
वारसी ने महमूद मदनी को फतवा फैक्ट्री करार देते हुए कहा कि जब देखो वो एक फतवा जारी कर देते हैं. पता नही अब क्या मजबूरी है, कौन सा सियासी खेल है कि वह इस पर सियासत शुरू कर दें. कोई सराकर के विरुद्ध बयान देगा, तो कोई सरकार के समर्थन में बयान जारी करेगा. ये फतवा फैक्ट्री का एक सियासी बयान जो कुछ दिन चलेगा और फिर ठंडा हो जाएगा. उन्होंने कहा कि जहां तक महमूद मदनी का प्रश्न है, तो यह देश जितना मोदी और भागवत का है, उतना ही महमूद मदनी का भी है. प्रधानमंत्री का तो नारा भी है कि सबका साथ, सबका विकास. वारसी ने आगे कहा कि सरकार सुफिज्म, अध्यात्म या इस्लाम के खिलाफ कहीं भी दुश्मनी नहीं कर रही. सरकार की जो योजनाएं आती हैं, उनका लाभ जितना हिंदू को मिलता है, उतना ही मुसलमान को भी मिलता है.
इसके साथ ही कशिश वारसी ने महमूद मदनी को सलाह दी है कि वह मुसलमानों को भड़काने की कोशिश ना करें. यह सरकार सबके लिए काम कर रही है. अगर मदनी के पास मुस्लिमों से भेदभाव का कोई डेटा है, तो उसे सार्वजनिक करें. मगर इस प्रकार से मुसलमानों को गुमराह ना करें. उन्होंने कहा कि जहां तक इस्लाम का संबंध है, तो इस्लाम, हिंदुस्तान का मजहब है ही नहीं. यह मक्का ए मोज़मा, मदनीना ए मुनावरा में मोहम्मद सल्ला वाले वसल्लम लेकर आए थे.
दुनिया में बजेगा Made In India हथियारों का डंका, अब भारत में बनेगी ये अत्याधुनिक राइफल
अब 16 फ़रवरी को होगा MCD के मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव, 3 बार नाकाम हो चुकी कोशिश
तीसरे दिन ही भारत जोड़ो यात्रा छोड़ने वाले थे राहुल गांधी, हो गई थी ये गंभीर समस्या