काबुल: तालिबान शासित अफगानिस्तान एक बार फिर से बम धमाके से थर्रा उठा है। रिपोर्ट के अनुसार, पश्चिमी काबुल में शाहिद माजरी रोड पर एक स्कूल में आत्मघाती बम ब्लास्ट किया गया है। जानकारी के अनुसार, इस हमले में 53 लोगों की जान चली गई है। मृतकों में 46 लड़कियां और महिलाएं भी शामिल हैं। धमाके के बाद पूरे इलाके में दहशत पसर गई है।
मीडिया रिपोर्ट्स में संयुक्त राष्ट्र (UN) के हवाले से जानकारी दी गई है कि काबुल में एक स्कूल में आत्मघाती बम विस्फोट हुआ है। ये धमाका 30 सितंबर को अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में एक शैक्षणिक संस्थान में हुआ था। प्रारंभिक जानकारी में सामने आया था कि आत्मघाती हमले में 19 लोगों की मौत हुई थी। लेकिन अब UN ने बताया है कि इस्लामी आतंकियों के हमले में 53 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई है। इसमें 46 लड़कियां शामिल हैं। इसके साथ ही करीब 110 लोग जख्मी बताए जा रहे हैं।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, तालिबान के एक प्रवक्ता ने जानकारी दी है कि काबुल के शिया इलाके में एक फिदायीन हमलावर ने एक स्कूल पर हमला किया। विस्फोट शहर के पश्चिम में दश्त-ए-बारची इलाके में काज एजुकेशन सेंटर में हुआ। जब ये हमला हुआ था तब क्लास खचाखच भरी हुई थी। धमाकों के बाद शवों के चिथड़े उड़ गए। बता दें कि, तालिबान राज आने के बाद अफ़ग़ानिस्तान में इस तरह के हमलों में सैकड़ों लोगों की जान चली गई है। लेकिन, हर बार ये सवाल उठता है कि, आखिर एक इस्लामिक मुल्क में इस्लामी आतंकी लोगों की हत्याएं क्यों कर रहे हैं ? अमूमन देखा गया है कि, ये आतंकी दुनियाभर में इस्लामी राष्ट्र स्थापित करने के लिए लड़ते हैं, लेकिन जो देश पहले से ही इस्लामी है, वहां ये आतंकी किस कारण मुसलमानों की हत्याएं कर रहे हैं और उन निर्दोष लोगों के लिए कोई आवाज़ क्यों नहीं उठा रहा है ?
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