सुखबीर बादल को श्री अकाल तख़्त ने सुनाई धार्मिक सजा, नेता ने मानी अपनी गलतियां

सुखबीर बादल को श्री अकाल तख़्त ने सुनाई धार्मिक सजा, नेता ने मानी अपनी गलतियां
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अमृतसर: शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने अपनी पार्टी की पूर्व सरकार के दौरान हुई गलतियों को सार्वजनिक रूप से स्वीकार कर लिया है। इसके बाद उन्हें और अन्य अकाली नेताओं को श्री अकाल तख्त साहिब द्वारा धार्मिक सजा सुनाई गई है। इस सजा के तहत सुखबीर सिंह बादल को पांच गुरुद्वारों के बाहर भाला लेकर सेवादार के रूप में सेवा करनी होगी। वे सुबह 9 से 10 बजे तक सेवा करेंगे, फिर लंगर में जूठे बर्तन साफ करेंगे। इसके अलावा उन्हें कीर्तन सुनने और सुखमनी साहिब का पाठ करने का निर्देश दिया गया है।  

धार्मिक सजा के अगले चरण में, सुखबीर सिंह बादल और उनकी कोर कमेटी के सदस्य, जो 2015 में कैबिनेट का हिस्सा थे, 3 दिसंबर को गुरुद्वारों में बाथरूम साफ करेंगे। इसके बाद वे स्नान कर लंगर घर में सेवा देंगे और सुखमनी साहिब का पाठ करेंगे। इस प्रक्रिया के दौरान, सुखबीर सिंह बादल को एक तख्ती पहननी होगी, जिसमें उन्हें तन्खैइया घोषित किया गया है। वे श्री दरबार साहिब के बाहर भाला लेकर सेवा करेंगे।  

सजा सुनाने के दौरान जत्थेदारों ने अकाली दल के शासनकाल की गलतियों को विस्तार से गिनाया। उन्होंने कहा कि अकाली दल ने कई ऐसे निर्णय लिए, जिनसे सिख समुदाय आहत हुआ। इनमें 2015 के दौरान धार्मिक अपमान के मामलों की अनदेखी, दोषी अधिकारियों को पदोन्नति, डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को माफ करने के प्रयास, और संगत पर लाठीचार्ज जैसी घटनाएँ शामिल हैं। सुखबीर सिंह बादल ने इन सभी गलतियों को स्वीकार किया और अपनी जिम्मेदारी मानी।  

इसके अलावा, श्री अकाल तख्त साहिब ने दिवंगत मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल को दिया गया *फख्र-ए-कौम* पुरस्कार भी वापस ले लिया है। यह निर्णय इसलिए लिया गया क्योंकि जिस समय ये गलतियाँ हुईं, उस समय वे राज्य के मुख्यमंत्री थे। जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने अकाली दल की आलोचना करते हुए कहा कि यह शर्म की बात है कि एक पार्टी, जो श्री अकाल तख्त साहिब के सिद्धांतों पर बनी थी, सिख समुदाय के मुद्दों से भटक गई।  

सजा सुनाए जाने के दौरान सुखबीर सिंह बादल और अन्य नेताओं ने जत्थेदारों के सामने पेश होकर अपनी गलतियाँ कबूल कीं। उन्होंने यह भी माना कि राम रहीम के माफी प्रकरण में उनका रवैया गलत था। यह वह समय था जब सुखबीर बादल पंजाब के डिप्टी मुख्यमंत्री थे। श्री अकाल तख्त साहिब के फैसले को सिख संगत ने एक महत्वपूर्ण कदम माना है, जो अकाली दल को अपनी गलतियों से सबक लेने और सही दिशा में लौटने की प्रेरणा देगा।

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