कहा जाता है अगर सूर्यरेखा सूर्यक्षेत्र की ओर नहीं जाए और शनि की अंगुली की तरफ चली जाए तो उस व्यक्ति को उन्नति एवं सफलता बेहद बड़ी मेहनत और मुश्किलों से मिलती है। जी दरअसल ऐसे व्यक्ति धनवान और उन्नतिशील तो होते हैं लेकिन खुश नहीं रह पाते। वहीँ अगर यह रेखा शनिक्षेत्र को काट रही हो या अपनी कोई शाखा गुरूक्षेत्र की ओर भेज रही हो तो ऐसे व्यक्ति की उन्नति हो सकती है।
वह कोई उच्च पद को प्राप्त कर सकता है। इसके अलावा यह भी कहा जाता है अगर सूर्य रेखा भाग्य रेखा से आरम्भ होती हो तो भाग्यरेखा के गुणों को बढ़ाकर उसकी शक्ति को दोगुना बढ़ा देती है। वैसे यह रेखा जिस स्थान से भाग्य-रेखा से ऊपर उठती है वहीं से किसी विशेष उत्कर्ष या उन्नति का आरम्भ होने लगता है।
कहा जाता है रेखा जितनी अधिक स्पष्ट और सुन्दर होती है उन्नति का क्षेत्र उतना ही विस्तृत और अधिक होता है। जिसके हाथ में ऐसी रेखा होती है वह व्यक्ति कुशल कलाकार या दस्तकार तो नहीं हो सकता, लेकिन वह सुन्दरता का पुजारी और प्राकृतिक दृश्यों का प्रेमी होता है। अगर सूर्यरेखा चन्द्रक्षेत्र से आरंभ होती हो तो व्यक्ति का भाग्य चमकेगा, लेकिन उसकी यह उन्नति दूसरों की इच्छा और सहायता पर अधिक निर्भर करेगी।
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