कश्मीर से बिहार-दिल्ली तक आतंकी नसरल्लाह का समर्थन, भारत के लिए 'खतरे की घंटी'

कश्मीर से बिहार-दिल्ली तक आतंकी नसरल्लाह का समर्थन, भारत के लिए 'खतरे की घंटी'
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नई दिल्ली: हाल ही में इजरायली हमले में मारे गए लेबनानी आतंकी संगठन हिज्बुल्लाह के प्रमुख हसन नसरल्लाह का गुप्त स्थान पर अंतिम संस्कार किया गया। हिज्बुल्लाह को इस बात का डर था कि अगर नसरल्लाह का बड़ा जनाजा निकाला गया, तो इजरायल उस पर हमला कर सकता है। एक लेबनानी अधिकारी ने इस बात की जानकारी दी कि हिज्बुल्लाह ने अमेरिकी गारंटी की मांग की थी ताकि नसरल्लाह के जनाजे को सुरक्षित रूप से निकाला जा सके, लेकिन इजरायल की बमबारी के चलते ऐसी कोई गारंटी नहीं मिली।

वहीं, ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने तेहरान की एक मस्जिद से जुमे की नमाज के बाद इजरायल पर निशाना साधते हुए दुनिया भर के मुस्लिमों से एकजुट होने का आह्वान किया। भारत में भी कई राज्यों में इजरायल के खिलाफ प्रदर्शन हुए, जिनमें दिल्ली और कश्मीर के शिया बहुल इलाकों में भी विरोध देखने को मिला। प्रशासन ने इन प्रदर्शनों के दौरान कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किए थे।

दिल्ली के जोरबाग इलाके में स्थित शाह-ए-मर्दां मस्जिद के बाहर हिज्बुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह के पोस्टर लगाए गए, जिसमें उसे शहीद बताया गया। देश में कई जगह जुमे की नमाज के बाद इजरायल विरोधी प्रदर्शन भी हुआ। वहीं बिहार के मुजफ्फरनगर में भी शिया समुदाय के लोगों ने नसरल्लाह की मौत और उसे आतंकी कहे जाने पर विरोध प्रदर्शन किया और कैंडल मार्च निकाला। बता दें कि इसराइल, अमेरिका, ब्रिटेन और कई अन्य देशों ने हिजबुल्लाह को आतंकी संगठन घोषित कर रखा है। 

 

शिया धर्मगुरु सैयद मोहम्मद काज़िम शबीब के नेतृत्व में मुजफ्फरनगर में लोगों ने नसरल्लाह को शहीद मानते हुए इजरायल के खिलाफ नारे लगाए और फिलिस्तीन का समर्थन किया। काज़िम शबीब ने कहा कि इजरायल ने गाज़ा में हजारों बच्चों को मारा है, फिर भी उसे आतंकी क्यों नहीं कहा जा रहा है? उन्होंने भारत सरकार से मांग करते हुए कहा कि वह फिलिस्तीन के समर्थन में खड़ी हो, क्योंकि भारत ने हमेशा मजलूमों की हिफाजत की है।

इसी तरह, लखनऊ के शिया धर्मगुरु कल्बे जव्वाद ने इजरायल पर ईरान के मिसाइल हमले का बचाव किया, इसे आत्मरक्षा का कदम बताया, और कहा कि इजरायल को सजा मिलनी चाहिए, क्योंकि उसने मानवता के खिलाफ काम किए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इजरायल का लक्ष्य मक्का-मदीना पर कब्जा करना है, और दुनिया भर के मुसलमानों को इसके खिलाफ खड़ा होना चाहिए। वैसे गौर करने वाली बात ये भी है कि ईरान-सीरिया जैसे देशों में जहाँ आम मुसलमान जनता, नसरल्लाह की मौत का जश्न मना रही है, मिठाई बाँट रही है, तो भारत के मुसलमान क्यों दुखी हैं। मध्यपूर्व में लोग नसरल्लाह को 'सीरिया का कसाई' कहते हैं, जिसने लाखों सीरियन लोगों को मौत के घाट उतार दिया था, वे सभी मुसलमान ही थे। फिर इजराइल पर पहला हमला तो हिजबुल्लाह ने ही किया था ना, जिसके बाद इजराइल ने पलटकर किया। अब ईरान ने इजराइल पर 200 से अधिक मिसाइलें दागी हैं, तो क्या इजराइल पलटवार नहीं करेगा ? ये तो किसी भी देश का आत्मरक्षा का अधिकार होता है। पूरा झगड़ा 7 अक्टूबर 2023 को फिलिस्तीनी आतंकी संगठन हमास द्वारा इजराइल पर हमला करने के बाद ही शुरू हुआ है, आज भी इजराइल के कई नागरिक हमास के पास बंधक हैं, तो क्या उन्हें ना छुड़ाया जाए ? आज इजराइली सुरक्षा बलों ने गाज़ा से एक यजीदी लड़की को छुड़ाया है, जिसे 11 साल की उम्र में 2014 में किडनैप किया गया था और उसे यौन गुलाम (Sex Slave) बनाकर रखा गया था, इन 10 सालों में अनगिनत बार उसके साथ बलात्कार हुए थे। अगर ऐसे दरिंदों को 'आतंकी' ना कहा जाए तो क्या कहा जाए ?

 

यहाँ एक महत्वपूर्ण सवाल और भी उठता है - जब भारत के मुसलमान एक लेबनानी आतंकी संगठन, हिज्बुल्लाह, का समर्थन कर रहे हैं, तो अगर कल को किसी पाकिस्तानी आतंकी संगठन ने भारत पर हमला कर दिया, तो ये लोग किसका साथ देंगे? हिज्बुल्लाह और हमास जिस तरह से इजरायल पर उसकी जमीन पर कब्जा करने का आरोप लगाते हैं, ठीक उसी तरह पाकिस्तानी आतंकी संगठन भी कश्मीर को अपनी जमीन मानते हैं और भारत पर आरोप लगाते हैं। ऐसे में, क्या ये लोग पाकिस्तानी आतंकियों का भी समर्थन करेंगे, जो भारत के खिलाफ आतंकी हमले करते हैं और कश्मीर को लेकर अपने दावे ठोंकते हैं?

यह स्थिति बेहद चिंताजनक है, क्योंकि भारत का एक बड़ा वर्ग फिलिस्तीन और हिज्बुल्लाह के समर्थन में आकर उन विचारधाराओं का समर्थन कर रहा है, जो आतंकवाद को बढ़ावा देती हैं। क्या वे इसी तरह पाकिस्तान के आतंकियों का भी समर्थन करेंगे, जब वे भारत के खिलाफ अपना दावा करेंगे?

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