कोच्ची: कट्टरपंथी इस्लामी संगठन जमात-ए-इस्लामी हिंद (JIH) इजराइल में सैकड़ों निर्दोष नागरिकों का नरसंहार करने वाले हमास आतंकवादियों के साथ 'एकजुटता' दिखाने के लिए एक कार्यक्रम की मेजबानी करने वाला है। 'फिलिस्तीन सॉलिडेरिटी कन्वेंशन' नाम का कार्यक्रम 13 अक्टूबर को केरल के मुस्लिम-बहुल मलप्पुरम जिले में रखा गया है।
कार्यक्रम के पोस्टर पर मलयालम में लिखा हुआ है कि, "ज़ायोनीवादी अधिनिवेश भिकरथक्केथिरे" जिसका हिंदी में अर्थ होता है कि, "आतंकवाद पर कब्ज़ा करने वाले ज़ायोनीवादियों के ख़िलाफ़।'' कथित तौर पर इस्लामिक संगठन ने भारत में फिलिस्तीन के राजदूत अदनान अबू अलहैजा और इस्लामिक यूनिवर्सिटी ऑफ गाजा के कुलपति डॉ. कामलेन शाआथ को निमंत्रण दिया है। जमात-ए-इस्लामी राज्य समिति के सदस्य डॉ. नहस माला ने पुष्टि की है कि फिलिस्तीनी दूत सम्मेलन को वर्चुअली संबोधित करेंगे। हालाँकि, ऐसा लगता नहीं है कि इज़राइल और फिलिस्तीन के बीच चल रहे संकट के बीच गाजा यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. शाआथ समारोह में शामिल होंगे।
Shocking exposure from Kerala Again..!!!
— Pratheesh Viswanath (@pratheesh_Hind) October 11, 2023
A meeting is going to be organised by Jamaat-e-Islamic Hind on 13th Oct in Malappuram Dist, Kerala in support of Hamas terrorism & Palastine and it is said to be attended by the ambassador of Palastine to India.
How can an ambassador… pic.twitter.com/4IgXg3Qk2V
यह कार्यक्रम फिलिस्तीन और हमास के साथ समर्थन और एकता प्रदर्शित करने के लिए आयोजित किया जा रहा है, हमास वो आतंकी संगठन है, जिसके इज़राइल पर अकारण हमले ने अब तक 1200 से अधिक निर्दोष इज़राइली नागरिकों की जान ले ली है।
कौन है जमात-ए-इस्लामी हिंद (JIH):-
ध्यान रहे कि इस्लामी संगठन जमात-ए-इस्लामी हिंद (JIH) ने हाल ही में कर्नाटक में हिजाब विरोध को भड़काने में अहम भूमिका निभाई थीं। कर्नाटक में हिजाब विवाद ने खतरनाक मोड़ ले लिया था, जिससे राज्य के कई हिस्सों में हिंसा हुई और कुछ हर्षा, प्रवीण नेतारु जैसे हिन्दुओं की हत्याएं भी हुईं। यहां यह बताना भी जरूरी है कि केरल के एक पत्रकार ने बताया था कि किस तरह इस्लामी संगठन जमात-ए-इस्लामी को भारत का 'इस्लामीकरण' करने के लिए सऊदी अरब के विश्वविद्यालयों से फंडिंग मिलती रही है। पुलवामा में आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने 28 फरवरी, 2019 को जमात-ए-इस्लामी हिंद (JIH) पर प्रतिबंध लगा दिया था, क्योंकि उस पर आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन को फंडिंग करने का आरोप था।
भारतीय मुसलमान फिलिस्तीन और हमास के साथ क्यों:-
बता दें कि, 10 अक्टूबर को, जमात-ए-इस्लामी की छात्र शाखा, स्टूडेंट्स इस्लामिक ऑर्गनाइजेशन (SIO) ने मलप्पुरम में "हमास स्क्वायर" के नाम से एक सभा आयोजित की थी। केरल के कई हिस्सों में एकजुटता सभा आयोजित करने के साथ-साथ, जमात-ए-इस्लामी ने लोगों से फिलिस्तीन के प्रति अपना अटूट समर्थन दिखाने के लिए 'विशेष प्रार्थनाओं' में भाग लेने का आग्रह किया है। चूंकि फिलिस्तीनी आतंकी संगठन हमास के आतंकवादी हमलों और जमीनी आक्रमण के बाद इज़राइल ने युद्ध की घोषणा की, इसलिए भारत में अधिकांश इस्लामवादियों और मुस्लिम समुदाय के अन्य प्रतिनिधियों ने भी अपनी वैश्विक उम्मा (मुस्लिम समुदाय) का समर्थन करना शुरू कर दिया है, फिर चाहे वो आतंकी ही क्यों न हो। फिर चाहे हमास ने 40 नवजात बच्चों की हत्या कर दी हो, महिलाओं की नग्न परेड कराई हो, लेकिन मजहब के नाम पर उनका समर्थन फिलिस्तीन और फिलिस्तीनी आतंकी संगठन हमास के साथ ही है।
वहीं, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) के छात्रों द्वारा हमास आतंकवादियों के समर्थन में विरोध मार्च निकालने के चार दिन बाद, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने कथित तौर पर कहा है कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी "उत्पीड़ितों के बजाय उत्पीड़कों का पक्ष ले रहे हैं।" AIMPLB की ये प्रतिक्रिया पीएम मोदी द्वारा इजराइल पर हुए आतंकी हमले की निंदा करने के बाद आई है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी द्वारा 10 अक्टूबर को जारी एक बयान में, संस्था ने 7 अक्टूबर को हमास द्वारा किए गए आतंकी हमले के लिए इज़राइल को ही जिम्मेदार ठहराया है। मौलाना रहमानी ने हमास के आतंकी कृत्य को भी जायज ठहराया, जिसमें कम से कम 1,200 लोग मारे गए। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के बयान में कहा गया है कि, "इस प्रतिक्रिया को आतंकवाद कहना, उत्पीड़कों को मजबूत करना है और पीड़ितों के साथ अन्याय है।"
इसी प्रकार, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख नेता, संघर्ष के दौरान फिलिस्तीन और हमास का समर्थन कर रहे हैं। 11 अक्टूबर को, असदुद्दीन ओवैसी ने एक्स, (पूर्व ट्विटर) पर यरूशलेम में अल अक्सा मस्जिद की एक तस्वीर साझा करते हुए लिखा था कि, 'गाजा के हाथ, फलास्तीन जिंदाबाद। हिंसा मुर्दाबाद (मुख्यतः इजराइल या किसी समूह/संगठन द्वारा की गई)। मस्जिद ए अक्सा आबाद रहे।' AIMIM नेता ने भी इजराइल पर आतंकी संगठन हमास के हमले के लिए इजराइल को ही जिम्मेदार ठहराया। ये गौर करने वाली बात है कि, AIMIM नेता भी कांग्रेस की तरह, इजरायली बच्चों की हत्या को नजरअंदाज करते हुए सिर्फ फिलिस्तीनी हताहतों को दिखाते हुए सोशल मीडिया पर पोस्ट साझा कर रहे हैं।
बता दें कि, कांग्रेस ने भी अपनी कार्यसमिति (CWC) की बैठक में फिलिस्तीन के समर्थन में प्रस्ताव पारित किया है, लेकिन कहीं भी इजराइल पर हुए आतंकी हमले का जिक्र नहीं किया है। यहाँ तक कि, इजराइली बच्चों की निर्मम हत्या, महिलाओं के बलात्कार और नग्न परेड पर भी एक शब्द नहीं कहा गया है। हालाँकि, विशेष रूप से, पीएम मोदी ने इज़राइल पर हमले को "आतंकवादी कृत्य" बताते हुए स्पष्ट रूप से निंदा की है। हमास के आतंकी हमले में इजराइल में कम से कम 1300 लोगों की जान गई है, जबकि 3000 से ज्यादा लोग घायल हैं।
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