नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने हाईवे के 500 मीटर के दायरे में शराब विक्रय पर रोक लगाने के मामले में कहा कि यदि हाईवे सिटी के बीच से कोई गुजरता है और फिर इस पर कार्रवाई करना आवश्यक नहीं है। दरअसल चंडीगढ़ में राजमार्ग को अधिसूचना के दायरे में लाने और यहां शराब विक्रय की दुकानों के संचालन को लेकर कार्रवाई करने को लेकर याचिकाकर्ता ने विरोध किया था। दरअसल इस मामले में ड्राईव सेफ इंडिया को लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने याचिका दायर की।
उसका कहना था कि न्यायालय ने 500 मीटर तक शराब की दुकानों पर सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय को निष्प्रभावी करने हेतु आवश्यक कदम उठाने का उल्लेख करते हुए अपील की कि न्यायालय अपने फैसले को निष्प्रभावी किए जाने के लिए इस तरह का कदम उठाया गया है। इस मामले में न्यायालय ने कहा कि सिटी में हाईवे और बिना सिटी के हाईवे तैयार करने में बड़ा अंतर है।
गौरतलब है कि हाईवे का अर्थ है कि ऐसा क्षेत्र जहां पर तेज गति से वाहन चलाए जाते हों वह क्षेत्र आता है। दरअसल न्यायालय की मंशा लोगों द्वारा शराब पीकर वाहनों का अंधाधुंध संचालन किए जाने से रोकना है। याचिकाकर्ता ने कहा कि बड़ी सड़कों को जिला सड़क का नाम दिया गया है। सर्वोच्च न्यायालय का कहना था कि शराब की दुकानें बंद न हों इसलिए इस तरह की कार्रवाई की गई है जिसमें हाईवे को डिनोटिफाई किया गया है। गौरतलब है कि चंडीगढ़ में कई जगह हाईवे का नाम बदलकर मेजर डिस्ट्रिक रोड का नाम कर दिया गया है
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