आज होगी अयोध्या व बाबरी मस्जिद मसले पर सुनवाई
आज होगी अयोध्या व बाबरी मस्जिद मसले पर सुनवाई
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नई दिल्ली। रामजन्मभूमि व बाबरी मस्जिद विवाद पर सर्वोच्च न्यायालय की विशेष पीठ आज सुनवाई करेगी। शुक्रवार को तीन न्यायाधीशों की विशेष पीठ द्वारा इस मामले में सुनवाई की जाएगी। हालांकि सर्वोच्च न्यायालय इस मामले में पहले ही कह चुका है कि संबंधित पक्ष न्यायालय के बाहर आपसी चर्चा से इस मसले को हल करें। यदि आवश्यकता होती है तो न्यायालय उन्हें न्यायिक सहायता प्रदान कर सकता है। मिली जानकारी के अनुसार इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्णय को सर्वोच्च न्यायालय ने चुनौती दी है। जिसमें यह निर्णय दिया गया था कि श्री राम जन्मभूमि मस्जिद को तीन बराबर भागों में बाॅंटा जाए।

विभिन्न पक्षों द्वारा उक्त निर्णय को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी। इस निर्णय के विरूद्ध जो अपीलें विचारार्थ थीं। सर्वोच्च न्यायालय ने उन पर कार्रवाई करते हुए 9 मई वर्ष 2011 को उच्च न्यायालय के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी थी। गौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय ने वेबसाईट पर नोटिस जारी कर दिया था। 11 अगस्त को दोपहर करीब 2 बजे तीन न्यायाधीशों की विशेष पीठ के मसले पर सुनवाई करने की जानकारी दी गई है। रामलला की ओर से उनके निकट मित्र ने अपील दाखिल कर रखी है जिसमें कहा गया है कि जब हाईकोर्ट ने यह मान लिया कि मुसलमानों का जमीन पर दावा नहीं बनता और इस बात के साफ साक्ष्य हैं कि पहले वहां उत्तर भारत की नगर प्रकृति का मंदिर था तो फिर जमीन के बंटवारे का आदेश देना ठीक नहीं है।

हालांकि इस मामले में सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने याचिका दायर की है। उन्होंने यहाॅं पर पूजन अर्चन का अधिकार मांगा है। उन्होंने अपनी याचिका पर स्वयं बहस करने की अनुमति की मांग भी की है। इस मामले में जल्द सुनवाई हेतु न्यायालय से अपील की गई थी। कहा गया है कि जब एएसआई की खुदाई के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि यहाॅं प्राचीन काल में मंदिर था।

यह भी कहा गया है कि जब जमीन को श्री रामजन्मभूमि घोषित कर दिया गया है तो फिर इसे बाबरी मस्जिद के गुंबद के क्षेत्र, अंदर के हिस्से और बाहर के भाग के तौर पर नहीं बाॅंटा जाना चाहिए। दूसरी ओर निर्मोही अखाड़े ने अपील करते हुए कहा है कि मुसलमानों का जमीन पर वाद गलत है। इसे खारिज कर दिया गया है। इस जमीन का भाग उन्हें नहीं बाॅंटा जा सकता है। कहा गया है कि उच्च न्यायालय को मामले की सुनवाई सर्वोच्च न्यायालय के इस्माइल फारूखी प्रकरण के अनुसार करना चाहिए।

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