नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका पर फ़ौरन विचार नहीं करने का फैसला किया है, जिसमें चुनाव आयोग से सटीक मतदाता संख्या प्रकाशित करने और फॉर्म 17सी की प्रतियां अपनी वेबसाइट पर अपलोड करने का अनुरोध किया गया है। कोर्ट ने कहा कि अगले दिन छठे चरण का चुनाव होने के कारण इस मामले पर चुनाव के बाद विचार किया जाना चाहिए।
यह याचिका लोकसभा चुनाव के दौरान मतदान के आंकड़ों में गड़बड़ी के विभिन्न राजनीतिक दलों के आरोपों के बीच उठी है। ये पार्टियाँ चुनाव के दिन बताए गए मतदान प्रतिशत और फिर अपडेट के बाद बताए गए मतदान प्रतिशत के बीच विसंगतियों का दावा करती हैं। याचिका एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) और तृणमूल कांग्रेस (TMC) की महुआ मोइत्रा द्वारा दायर की गई थी, और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने इसकी सुनवाई की।
वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह द्वारा प्रतिनिधित्व किए गए चुनाव आयोग ने याचिका का विरोध किया, यह तर्क देते हुए कि यह सुनवाई के लायक नहीं है और कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है। मनिंदर सिंह ने याचिकाकर्ताओं के लिए भारी जुर्माने का सुझाव देते हुए कहा कि इस तरह की कार्रवाइयां चुनावी प्रक्रिया में जनता के विश्वास को नुकसान पहुंचाती हैं और चुनाव की अखंडता के बारे में अनुचित संदेह पैदा करती हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि मतदान डेटा में 5-6% विसंगति के आरोप निराधार थे, और स्पष्ट किया कि फॉर्म 17सी को EVM -VVPAT के साथ सुरक्षित रूप से संग्रहीत किया जाता है।
न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता ने याचिका के समय पर सवाल उठाते हुए याचिकाकर्ता के वकील दुष्यंत दवे से पूछा कि इसे चुनाव प्रक्रिया शुरू होने के बाद क्यों दायर किया गया। उन्होंने कहा कि याचिका उचित समय पर या उचित नहीं लगती है, जिससे संकेत मिलता है कि कुछ जनहित याचिकाएं (PIL) वास्तव में जनता के हित में नहीं हैं। अंततः, सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया और याचिका को लंबित रखने का फैसला किया, गर्मियों की छुट्टियों के बाद एक नियमित पीठ इसकी सुनवाई करेगी, और इस बात पर जोर दिया कि चल रहे चुनावों के दौरान कोई आदेश जारी नहीं किया जाएगा।
क्या ऑस्ट्रेलियाई दिग्गज को टीम इंडिया का कोच बना रहा BCCI ? जय शाह ने दिया जवाब