नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को शीर्ष अदालत से बड़ी राहत मिली है. शिक्षामित्रों की याचिका को सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को खारिज कर दिया है. इसके साथ ही 69 हजार प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती का रास्ता साफ हो गया है. याचिकाकर्ताओं की दलील सुनकर ही न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित, न्यायमूर्ति शान्तनु गौडार और न्यायमूर्ति विनीत शरण की बेंच ने याचिका खारिज की.
सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और बेसिक शिक्षा बोर्ड की तरफ से पेश राकेश मिश्रा को कुछ बोलने की आवश्यकता ही नहीं पड़ी. शिक्षामित्रों की तरफ दलील रखते हुए मुकुल रोहतगी ने कहा कि सिंगल जज बेंच ने हमारे दावे के समर्थन में फैसला दिया था, किन्तु डिविजन ने हमारा पक्ष पूरी तरह नहीं सुना.
वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि मसला हमारे कॉन्ट्रैक्ट के रिन्युअल को लेकर भी है और नियुक्ति की प्रक्रिया में निरंतर किए गए बदलाव पर भी. इस पर न्यायमूर्ति ललित ने पूछा कि कितने शिक्षामित्र नियुक्त हुए थे? जवाब में मुकुल रोहतगी ने कहा कि 30 हजार, फिर सरकार ने शिक्षामित्रों की जगह 69000 प्राथमिक शिक्षकों की नई भर्ती निकाली. शिक्षामित्रों की तरफ से दलील देते हुए मुकुल रोहतगी ने कहा कि परीक्षा के बाद नया कटऑफ भी निर्धारित किया. इस पर न्यायमूर्ति ललित ने पूछा कि, कटऑफ विज्ञापन का हिस्सा था? इस पर रोहतगी ने कहा कि नहीं, 7 जनवरी को इम्तिहान होने के बाद न्यूनतम कटऑफ निर्धारित किया. 60-65% शिक्षकों के लिए जबकि शिक्षा मित्र के लिए ये 40-45 प्रतिशत था.
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