नई दिल्ली। देश की सर्वोच अदालत सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के कार्यकाल का आज अंतिम दिन है। वैसे तो वे कल याने मंगलवार को रिटायर हो रहे है लेकिन कल गाँधी जयंती होने की वजह से कोर्ट में अवकाश रहेगा। इस वजह से जस्टिस दीपक मिश्रा का आज सुप्रीम कोर्ट में बतौर जज अंतिम दिन होगा। उन्हें सबरीमाला मंदिर जैसे कई ऐतिहासिक फैसले लेने के लिए जाना जाता है लेकिन उनके नाम से कई विवाद भी जुड़े है। तो आइये आज उनके कार्यकाल के अंतिम दिन हम आपको उनके ऐतिहासिक फैसलों और उनसे जुड़े विवादों से अवगत करवाते है।
जस्टिस दीपक मिश्रा के अहम फैसले
सीजेआई रहते हुए दीपक मिश्रा ने कई अहम फैसले फैसले दिए है जिनमे से सबसे अहम फैसले इस प्रकार है
- आधार मामला
भारत के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता में पांच जजों की एक संविधान पीठ ने आधार कार्ड मामले में एक अहम फैसला लेते हुए आधार की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा है। इसके साथ ही इस पीठ ने मोबाइल नंबर को आधार से लिंक करवाने जैसी अनिवार्यता को भी खत्म कर दिया है।
-सबरीमाला मंदिर मामला
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर चल रहे विवाद के मामले में ऐतिहासिक फैसला लेते हुए इस मंदिर में महिलाओं के प्रवेश की इजाजत दे दी थी।
-अयोध्या मंदिर-मस्जिद केस
पिछले कई सालों से विवादों में चल रहे अयोध्या के मंदिर-मस्जिद मामले में भी एक अहम् फैसला सुनाते हुए उन्होंने 1994 के नागार्जुन के फैसले को दोबारा विचार के लिए बड़ी बैंच में भेजने से इनकार कर दिया था। 1994 ने कोर्ट ने इस मामले में फैसला देते हुए कहा था कि इस्लाम के मुताबिक नमाज पढ़ने के लिए मस्जिद इसका अभिन्न हिस्सा नहीं है।
- एमएलए और एमपी द्वारा वकालत
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने नेताओं और वकालत से जुडी उस याचिका को भी खारिज कर दिया था, जिसमें देश भर की अदालतों में एमएलए और एमपी को बतौर वकील प्रैक्टिस करने पर रोक लगाने की मांग की गई थी।
- धारा 497 (एडल्ट्री )
लम्बे समय से विवादों में चल रही एडल्ट्री यानी विवाहेत्तर संबंध से जुड़ी धारा 497 को लेकर भी चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने एक अहम फैसला सुनाया था। इस मामले की सुनवाई करने के बाद उन्होंने एडल्ट्री यानी विवाहेत्तर संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया था।
-दहेज प्रताड़ना मामला
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने दहेज प्रताड़ना मामले से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए पति और उनके परिजनों की तुरंत गिरफ़्तारी से छूट को भी ख़त्म कर दिया है।
-दागी नेता
पांच साल या उससे ज्यादा सजा के मामले में आरोप तय होने के बाद भी नेताओं के चुनाव लड़ने से रोक लगाने से इनकार कर दिया।
विवादों से भी जुड़ा है नाम
इतने ऐतिहासिक फैसले लेने वाले जस्टिस दीपक मिश्रा का नाम कई तरह के विवादों से भी जुड़ा है। इसी साल 12 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट के 4 जजों ने मीडिया के सामने आकर उनकी कार्यशैली पर कई तरह के सवाल भी खड़े किए थे। उनके ऊपर कोर्ट के रोस्टर सिस्टम में बदलाव लाने का भी आरोप लगा था। इसी तरह अरुणाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कलिखो के सुसाइड नोट में भी उनके नाम का जिक्र किया गया था।
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