नई दिल्ली: दिल्ली की अरविन्द केजरीवाल सरकार के साथ जारी घमासान के बीच केंद्र ने दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के उस बयान को सरासर गलत करार दिया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि 'केंद्र सरकार के अधिकारी दिल्ली सरकार के साथ मीटिंग्स में नहीं आते।' केंद्र ने यह बात सर्वोच्च न्यायालय में एक सुनवाई के दौरान कही। केंद्र ने कहा कि जब भी मीटिंग बुलाई गई है, तब-तब केंद्र सरकार के अधिकारी उन बैठकों में अवश्य शामिल हुए हैं। केंद्र ने कहा है कि दिल्ली एक केंद्र शासित प्रदेश है और केंद्र शासित प्रदेशों में सेवाओं के नियंत्रण पर केंद्र सरकार का अधिकार होता है।
सुप्रीम कोर्ट से केंद्र सरकार ने कहा कि दिल्ली में वर्ष 1993 से विधानसभा है, लेकिन आज तक किसी और सरकार ने यह आरोप नहीं लगाया, जो आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार लगा रही है। इससे पहले भी केंद्र और दिल्ली में अलग अलग दलों की सरकारें रही हैं, मगर ऐसा आरोप पहले कभी देखने को नहीं मिला, जो अब देखने को मिला है। दरअसल, मनीष सिसोदिया ने 9 नवंबर को सर्वोच्च न्यायालय में एक हलफनामा देते हुए केंद्र सरकार पर ये आरोप लगाया था कि केंद्र के अधिकारी दिल्ली सरकार के साथ बैठकों में शामिल नहीं होते। मंत्रियों के आदेश का उल्लंघन करते हैं और उनके फोन तक नहीं उठाते। सिसोदिया ने कहा था कि केंद्र सरकार के अधिकारी दिल्ली की निर्वाचित सरकार के साथ सही से व्यवहार नहीं करते।
सिसोदिया ने कोर्ट में कहा था कि, ‘उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने निर्वाचित सरकार के प्रति सिविल सेवकों के अड़ियल रवैये को प्रोत्साहित करके दिल्ली में शासन को बेपटरी किया है। इस साल की शुरुआत में LG की नियुक्ति के साथ समस्या और भी बड़ी हो गई है।’ AAP सरकार ने कहा था कि निर्वाचित सरकार की शक्तियों के असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक अतिक्रमण ने दिल्ली में निर्वाचित सरकार के लिए शासन को चुनौतीपूर्ण और मुश्किल बना दिया है। वहीं, केंद्र ने सोमवार को शीर्ष अदालत को बताया कि उसने दिल्ली में सेवाओं के नियंत्रण से संबंधित संवैधानिक मुद्दे से जुड़े मामले को एक बड़ी बेंच को संदर्भित करने के लिए एक नई याचिका दाखिल की है।
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