नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से लोकपाल की नियुक्ति नहीं होने पर सवाल किए हैं। सर्वोच्च न्यायालय का कहना था कि इस नियुक्ति में देरी क्यों हो रही है। जब लोकपाल एक्ट वर्ष 2014 में तैयार हो गया था तो फिर इस मामले में अभी तक प्रक्रिया पूरी क्यों नहीं हो सकी है। केंद्र सरकार से सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि आखिर लोकपाल बिल को संसद में संशोधन क्यों नहीं किए गए हैं इतना ही नहीं सरकार ने अब तक कोई डेडलाईन क्यों तय नहीं की है।
इस पर केंद्र सरकार ने अपना जवाब प्रस्तुत किया है और कहा है कि लोकपाल बिल अभी तक संसद में पेश नहीं हो पाया है। इतना ही नहीं सरकार ने कहा कि फिलहाल संसद में नेता विपक्ष है ही नहीं जबकि इस बिल के लिए सर्च कमेटी में नेता विपक्ष का होना जरूरी है। इस बिल में संशोधन करना होगा इसके बाद ही सबसे बड़े दल का नेता कमेटी में सम्मिलित हो पाएगा। गौरतलब है कि प्रशांत भूषण ने काॅमन काॅज एनजीओ की ओर से लोकपाल की चयन प्रक्रिया पर रोक लगाने की मांग की थी।
दरअसल उनका कहना था कि सरकार जो सूची भेजेगी और जिन नामों की अनुशंसा करेगी उसमें से लोकपाल अध्यक्ष व सदस्य की नियुक्ति के लिए चयन समिति द्वारा चयन किया जाएगा। उसके लिए सरकार द्वारा सूची में शामिल नामों का प्रस्ताव चयन समिति को भेजा जाएगा। यह प्रावधान लोकपाल कानून के अनुच्छेद 10 (1) के तहत किया गया है। प्रशांत भूषण का कहना है कि सरकार इस अनुच्छेद की धारा 1 और 4 से आगे बढ़कर काम ही नहीं कर सकती है।
केंद्र सरकार द्वारा इस मामले में कहा गया है कि संसद में इस बिल को पेश किया जाना है। गौरतलब है कि मानसून सत्र, बजट सत्र और अब शीतकालीन सत्र में संसद में हंगामे हुए हैं विपक्ष ने सत्तापक्ष पर विभिन्न मसलों पर राजनीतिक हमले किए हैं और कई बार सदन स्थगित करने पड़े हैं। अब तो संसद में नोटबंदी के मामले में हंगामा हो रहा है और सदन की कार्रवाईयां स्थगित हो रही हैं। गौरतलब है कि लोकपाल बिल को लेकर अगली सुनवाई 7 दिसंबर को होगी। ऐसे में सरकार को अपना जवाब तैयार रखना होगा।
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