नई दिल्ली: देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान कारखानों में लगे श्रमिकों के वेतन और मजदूरी के भुगतान के सवाल पर केंद्र सरकार ने शीर्ष अदालत में रुख बदल लिया. सरकार ने कहा कि ये तो रोज़गार देने वाले और काम करने वाले के बीच का मामला है. लिहाजा, इसमें हमारा दखल देना उचित नहीं. इस पूरे मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है.
मामले की सुनवाई करते हुए न्यायाधीश कौल ने कहा कि आप एक तरफ तो ये दावा कर रहे हैं कि आपने कामगारों की जेब में पैसे डाले हैं. वो 20 हजार करोड़ रुपए आखिर कहां गए? इस पर अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि हमने सूक्ष्म, लघु और मंझोले उद्योगों की सहायता में वो रकम लगाई है. सरकार ने ये बहुत जबरदस्त काम किया है. इस पर न्यायाधीश कौल ने कहा कि हम अपने सवाल का जवाब चाहते हैं, सरकार के लिए सर्टिफिकेट नहीं. वहीं, वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा कि स्थायी कर्मचारियों और मजदूरों के मुकाबले अस्थाई कामगारों पर ही अधिक असर पड़ा है. NDMA पर सख्त अमल के कारण कामगारों को अब कारखानों तक लाने- ले जाने के लिए वाहन सेवा देनी आवश्यक हो.
इंदिरा जयसिंह ने कहा कि गृह मंत्रालय के लॉकडाउन नोटिफिकेशन का उद्देश्य महामारी से बचाव के उपाय करना था. अब हम सबने मास्क लगाए हैं और लॉकडाउन के नियमों का पालन कर रहे हैं तो हम लोगों में से कोई बीमार नहीं है. लॉकडाउन के कारण ही NDMA की अहमियत हुई.
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