नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को केंद्र के वैक्सीन नीति के फैसले में दखल न देने के रुख पर पलटवार करते हुए कहा कि उसके पास न्यायिक समीक्षा का अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की उदारीकृत टीकाकरण नीति की बारीकी से जांच की और कई गाइडलाइन्स को पारित करने के अलावा, सरकार को इस संबंध में एक शपथपत्र दायर करने के निर्देश दिए। कोर्ट ने केंद्र से उसके द्वारा उठाए गए मुद्दों और प्रश्नों पर जवाब देने के लिए कहा है।
जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़, एल. नागेश्वर राव और जस्टिस एस. रवींद्र भट की बेंच ने कहा कि जब कार्यकारी नीतियों द्वारा नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन किया जाता है, तो कोर्ट मूक दर्शक नहीं रह सकती है। यह कहते हुए कोर्ट ने जोर देते हुए कि उसके पास न्यायिक समीक्षा की शक्ति है। पीठ ने कहा कि, यह कोर्ट एक खुली अदालत की न्यायिक प्रक्रिया के तत्वावधान में कार्यपालिका के साथ विचार-विमर्श करेगी, जहां वर्तमान नीतियों के औचित्य का पता लगाया जाएगा और मूल्यांकन किया जाएगा कि क्या वे संवैधानिक जांच से बचे हैं।
पीठ ने जोर देते हुए कहा कि अदालतों ने अक्सर सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट के प्रबंधन में कार्यपालिका की विशेषज्ञता को दोहराया है। इसने महामारी से लड़ने के लिए व्यापक अक्षांश की आड़ में मनमानी और तर्कहीन नीतियों के विरुद्ध चेतावनी भी दी है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि अभी तक वैक्सीन की जो खरीद हुई है उसका पूरा विवरण पेश करें।
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