नई दिल्ली: लखीमपुर खीरी हिंसा मामले पर सर्वोच्च न्यायालय में आज गुरुवार को अहम सुनवाई हुई. इसमें शीर्ष अदालत ने यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार को एक दिन की मोहलत दी है और शुक्रवार को विस्तृत स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा है. इस रिपोर्ट में मृतकों की जानकारी, FIR की जानकारी, किसे गिरफ्तार किया गया, जांच आयोग आदि के बारे में पूरी जानकारी देना है.
अदालत ने राज्य सरकार को यह भी आदेश दिया है कि मृत किसान लवप्रीत सिंह की मां के उपचार के लिए हरसंभव सहायता दी जाए. दरअसल, बेटे की मौत की खबर सुनकर मां को गहरा सदमा पहुंचा था, तब से वह बीमार हैं. अदालत में यूपी सरकार की ओर से पेश वकील गरिमा प्रसाद ने कहा कि सरकार ने प्राथमिकी दर्ज कर ली है. इसके अलावा उच्च न्यायालय के रिटायर्ड जज के नेतृत्व में जांच टीम बना दी है. सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश (CJI) एनवी रमन्ना ने कहा कि उच्च न्यायालय में इस मामले को लेकर कितनी याचिकाएं दाखिल हुई हैं, उनकी तफसील और स्टेटस रिपोर्ट दायर करें.
इसके साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार से कितनी FIR, कितने गिरफ्तार, कितने आरोपी सभी कुछ बताने के लिए कहा है. सुनवाई के दौरान शीर्ष ने एक गलतफहमी को भी दूर किया. अदालत ने कहा कि दो वकीलों ने कोर्ट को लखीमपुर मामले के लिए लिखा था. इसपर कोर्ट ने मामले को जनहित याचिका के तहत पंजीकृत करने के लिए कहा था. मगर गलतफहमी में इसे स्वत संज्ञान के तहत रजिस्टर कर लिया गया.
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