नई दिल्ली: कोरोना महामारी के दौरान कर्ज अदायगी में रियायत की अवधि के दौरान ब्याज में छूट को लेकर दाखिल की गई याचिका पर शीर्ष अदालत ने आज यानी गुरुवार को सुनवाई की. शीर्ष अदालत ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के हलफनामे पर सवाल उठाते हुए कहा कि एक सप्ताह में वित्त मंत्रालय और अन्य पक्षकार आरबीआई के जवाब पर रिजॉइंडर दायर करें. अगली सुनवाई 12 जून को होगी.
दरअसल RBI ने शीर्ष अदालत में दायर हलफनामे में कहा है कि कोरोना के चलते कर्ज अदायगी में छूट की मियाद के दौरान ब्याज में छूट नहीं दी जा सकती है. अर्जी का विरोध करते हुए RBI ने कहा कि ऐसा होने पर बैंको को 2 लाख करोड़ का घाटा होगा, जिससे पूरा आर्थिक तंत्र चरमरा जाएगा और बैंक ग्राहकों के हित प्रभावित होंगे. इस पर याचिकाकर्ता की तरफ से राजीव दत्ता ने कहा कि हमें सरकार के जवाब पर रिजॉइंडर दाखिल करने की अनुमति दें. इतने महत्वपूर्ण मामले पर हलफनामा कौन दाखिल कर रहा है जॉइंट डायरेक्टर? मजाक है. इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हम वित्त मंत्री और उच्च अधिकारियों के साथ बैठक कर रास्ता तलाशते हैं.
शीर्ष अदालत ने कहा कि आर्थिक पहलू लोगों के स्वास्थ्य से बढ़कर नहीं है. न्यायालय ने कहा कि ये सामान्य समय नहीं है. एक तरफ EMI पर मोहलत दी जा रही है, लेकिन ब्याज में कुछ भी नहीं. यह ज्यादा हानिकारक है. शीर्ष अदालत ने वित्त मंत्रालय से पूछा है कि क्या मोहलत के दौरान ईएमआई पर ब्याज से और ब्याज पर ब्याज से छूट दी जा सकती है?
कैसे मिलती है एफडी के बदले ओवरड्राफ्ट सुविधा, जानें
रिलायंस का राइट्स इश्यू हुआ हिट, मुकेश अंबानी ने किया शुक्रियादा
नाबालिग लड़की की कराई जा रही थी शादी, पुलिस ने दर्ज किया मामला