'अपनी जिंदगी जिओ फ़िरोज़..', सुप्रीम कोर्ट ने रोकी 4 वर्षीय बच्ची के बलात्कारी और हत्यारे की फांसी, वकील खुश

'अपनी जिंदगी जिओ फ़िरोज़..', सुप्रीम कोर्ट ने रोकी 4 वर्षीय बच्ची के बलात्कारी और हत्यारे की फांसी, वकील खुश
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नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार (19 अप्रैल 2022) को 4 वर्षीय मासूम बच्ची का बलात्कार और हत्या करने वाले मोहम्मद फिरोज की फाँसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया है। शीर्ष अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि, 'हर पापी का भी भविष्य होता है और इस मामले में इंसाफ यही है कि दोषी की फाँसी की सजा उम्रकैद में बदलर दी जाए।' जस्टिस यूयू ललित, एस रवींद्र भट और बेला एम त्रिवेदी की तीन सदस्यीय बेंच ने अपना फैसला सुनाते यह भी कहा कि, 'अपराधी को सुनाई गई अधिकतम सजा उसके विकृत मानसिकता को दुरुस्त करने के लिए हमेशा निर्णायक कारक नहीं हो सकती।'

 

19 अप्रैल को दिए गए इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि जेल से रिहा होने पर उसे सामाजिक रूप से उपयोगी व्यक्ति बनने के लिए मौका दिया जाना चाहिए। शीर्ष अदालत के इस फैसले से वकील नितिन मेश्राम काफी खुश हैं। उन्होंने ट्वीट करते हुए अपनी खुशी का इजहार किया है। मेश्राम ने अपने ट्वीट में लिखा कि, 'मुझे 2014 में इस मामले में फाँसी की सजा पर स्टे मिला था। खुशी है कि उसकी फाँसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया गया है। अपनी जिंदगी जियो फिरोज।'

 

वहीं, बलात्कारी और हत्यारे फिरोज को फाँसी की सजा नहीं दिए जाने से गदगद वकील नितिन मेश्राम अपने पुराने ट्विट्स को लेकर नेटिजेंस के निशाने पर आ गए हैं। दरअसल, मेश्राम वही वकील हैं, जिन्होंने कभी दुष्कर्म और हत्या के मामले में आरोपित (जिसपर दोषी साबित भी नहीं हुआ था) जाने पर एक पंडित को फाँसी की सजा दिए जाने की माँग की ​थी।

 

ट्विटर पर नितिन मेश्राम के पुराने ट्वीट वायरल हो रहे हैं। उन्होंने गत वर्ष 3 अगस्त को ट्वीट किया था। उन्होंने लिखा था कि दुष्कर्म और हत्या के मामले में आरोपित पंडित यदि दोषी पाया जाए तो उस पंडित को फाँसी पर लटका दिया जाना चाहिए। हालाँकि, अब शायद सर्वोच्च न्यायालय के वकील नितिन मेश्राम शायद अपना पिछला ट्वीट भूल चुके होंगे। तभी 21 अप्रैल 2022 को वह ट्वीट करते हुए शीर्ष अदालत के फैसले का स्वागत करते हैं, जिसमें 4 वर्षीय मासूम के बलात्कारी और कातिल की फाँसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया जाता है। यही नहीं, मेश्राम यह भी लिखते हैं कि फिरोज अपनी जिंदगी जियो। अब सोशल मीडिया यूज़र्स, वकील नितिन मेश्राम के दोमुँहे रवैये के पर उनसे सवाल करते हुए पूछ रहे हैं कि यदि पंडित और फिरोज दोनों दोषी (हालाँकि पंडित तो वकील के ट्वीट करने वक़्त अपराधी साबित भी नहीं हुआ था) हैं तो दोनों के लिए फाँसी की माँग क्यों नहीं?

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