मॉब लिंचिंग और गौरक्षा के नाम पर देशभर में काफी ज्यादा हंगामे हुए थे. इस मामले में हुई हिंसा पर कोई कदम उठाने को लेकर अब तक राज्य की ओर से रिपोर्ट नहीं पेश की गई है जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई है. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को लेकर ये नाराजगी भी जताई है कि देश के 29 राज्यों और सात केंद्रशासित में से अब तक केवल 11 ने ही मॉब लिंचिंग और गौरक्षा के मामले में कदम उठाने के कोर्ट के 17 जुलाई को दिए गए आदेश का पालन कर रिपोर्ट पेश की है.
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने रिपोर्ट पेश ना करने वाले राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को रिपोर्ट पेश करने का आखिरी अवसर दिया है. इसके साथ ही उन्होंने ये चेतावनी भी दी है कि यदि अब उन्होंने एक हफ्ते के अंदर रिपोर्ट पेश नहीं की तो गृह सचिवों को कोर्ट में व्यक्तिगत तौर से उपस्थित होना होगा.
मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र ने बेंच को ये सूचित भी किया कि गोरक्षा के नाम पर जो हिंसा हुई थी उस मुद्दे पर कोर्ट के फैसले के बाद मॉब लिंचिंग के बारे में कानून बनाने पर भी विचार किया गया जिसके लिए मंत्रियों के समूह का गठन हुआ है. 17 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि 'भीड़तंत्र की भयावह हरकतों' को कानून पर हावी नहीं होने दिया जाएगा. इतना ही नहीं इसके साथ गोरक्षा के नाम पर भी हिंसा और भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या करने के मामले में भी कई दिशा-निर्देश जारी किये थे. इतना ही नहीं कोर्ट ने सरकार को ये भी कहा था कि इस तरह के मामलों में सख्ती बरतने के लिए नए कानून बनाने पर विचार-विमर्श किया जाए.
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