नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने त्रिलोकपुरी इलाके में हुए सिख विरोधी दंगों के 23 दोषियों को ज़मानत प्रदान कर दी है. इन दोषियों ने दिल्ली उच्च न्यायालय से मिली पांच वर्ष की सज़ा के फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी. उच्च न्यायालय ने इन सभी को दंगा, घर जलाने, कर्फ्यू के हनन का दोषी पाया था. सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि दंगे के 15 दोषियों को आरोप मुक्त किये जाने के निर्णय के खिलाफ सरकार ने शीर्ष अदालत में पुर्नविचार याचिका दाखिल की है.
सर्वोच्च न्यायालय ने इन 15 दोषियों को सीधे सबूत, चश्मदीदों न होने का हवाला देते हुए साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया था. इससे पहले 1984 त्रिलोकपुरी सिख दंगा मामले में शीर्ष अदालत ने 15 दोषियों को बरी करने का आदेश दिया था. दरअसल, दिल्ली उच्च न्यायालय ने इन 15 लोगों को दंगा भड़काने का दोषी पाया था और 5-5 वर्ष कैद की सजा सुनाई थी. शीर्ष अदालत ने दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को पलटते हुए कहा था कि इन लोगों के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य मौजूद नहीं है और किसी चश्मदीद ने सीधे इन लोगों की पहचान नहीं की थी, जिससे इन्हें दोषी करार दिया जा सकता.
दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ 15 लोगों ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था. आपको बता दें कि 1984 में पूर्वी दिल्ली के त्रिलोकपुरी इलाके में हुए दंगों के मामले में दाखिल 88 दोषियों की अपील पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने सभी 88 दोषियों की सजा को बरकरार रखा था, लेकिन इनमें से केवल 47 लोग ही जीवित बचे हैं, जबकि बाकी दोषियों की अदालती कार्रवाई के दौरान ही मौत हो चुकी है.
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