नई दिल्ली: राजनीतिक पार्टियों के चंदे के लिए इलेक्टोरल बॉन्ड के इंतज़ाम को चुनौती देने वाली याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय में आज सुनवाई हुई. शीर्ष अदालत ने सुनवाई के दौरान सभी राजनीतिक पार्टियों को आदेश दिया है कि वे 15 मई तक बॉन्ड में मिले चंदे की रकम की रिपोर्ट 30 मई से पहले सील बंद लिफाफें में निर्वाचन आयोग को सौंपे. मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली बेंच ने राजनीतिक पार्टियों से कहा है कि वे फिलहाल इलेक्टोरल बॉन्ड पर रोक नहीं लगा रही है.
अदालत ने कहा है कि ये सभी जानकारियों के लिफाफे फिलहाल सील बंद ही रहेंगे और सुनवाई की अंतिम तारीख बाद में तय की जाएगी. पिछली सुनवाई में याचिकाकर्ता एसोसिएशन फ़ॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने कहा था कि राजनीतिक पार्टियों को चंदे की इस इंतज़ाम से भ्रष्टाचार को प्रोत्साहन मिल रहा है. बॉन्ड खरीदने वाले का नाम गुप्त रखे जाने का प्रावधान है और सत्ताधारी पार्टी को लाभ पहुंचाया जा रहा है. चुनाव आयोग ने शीर्ष अदालत में कहा था कि वो राजनीतिक पार्टियों को धन देने के लिए चुनावी बॉन्ड जारी करने के विरुद्ध नहीं है. आयोग ने कहा है कि वह केवल दानदाताओं के नाम छिपाने के खिलाफ है.
निर्वाचन आयोग ने शीर्ष अदालत से कहा है कि वे चुनावी बॉन्ड योजना में पारदर्शिता चाहते हैं. चुनाव आयोग ने ये भी कहा था कि हम उस दान का विरोध नहीं कर रहे हैं जो कि वैद्य दान है. हम तो मात्र इस योजना में पारदर्शिता चाहते हैं और हम दानदाताओं के नाम गुप्त रखने के खिलाफ हैं. आपको बता दें कि याचिका में ऐसा करने से भ्रष्टाचार की आशंका जताई गई है.
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