नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए पेंशन में बंपर इजाफा का रास्ता साफ कर दिया है। इससे पेंशन में कई सौ प्रतिशत तक वृद्धि हो जाएगी। सर्वोच्च न्यायालय ने ईपीएफओ की उस याचिका को ठुकरा दिया है, जो केरल उच्च न्यायालय के फैसले के विरुद्ध दायर की गई थी। दरअसल, उच्च न्यायालय ने ईपीएफओ को ऑर्डर दिया था कि वो सेवानिवृत्त हुए सभी कर्मचारियों को उनके पूरे वेतन के हिसाब से पेंशन दे।
उल्लेखनीय है कि वर्तमान में, ईपीएफओ 15,000 रुपये तक की वेतन की सीमा के साथ योगदान की गणना करता है। इससे प्रोविडेंट फंड में कमी आएगी क्योंकि अब अधिक भाग पीएफ के स्थान पर ईपीएस वाले फंड में जाएगा, किन्तु नए नियम से पेंशन इतनी अधिक बढ़ जाएगी तो वह भी गैप भर ही जाएगी।
आपको बता दें कि ईपीएस की शुरुआत 1995 में की गई थी। तब नियोक्ता कर्मचारी के वेतन का अधिकतम वार्षिक 6,500 (541 रुपये महीना) का 8.33 प्रतिशत ही ईपीएस के लिए जमा कर सकता था। किन्तु मार्च 1996 में इस नियम में परिवर्तन किया गया कि अगर कर्मचारी कुल वेतन के हिसाब से स्कीम में योगदान देना चाहे और नियोक्ता भी इसके लिए राजी हो तो उसे पेंशन भी उसी हिसाब से दी जानी चाहिए।
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