नई दिल्ली: कट्टरपंथी इस्लामी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के पूर्व प्रमुख ई. अबू बकर को फिलहाल सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत नहीं मिल सकी है। जस्टिस एम.एम. सुंदरेश की अध्यक्षता वाली बेंच ने एम्स (AIIMS) के डायरेक्टर को निर्देश दिया है कि अबू बकर के स्वास्थ्य की जांच के लिए एक विशेष मेडिकल टीम गठित की जाए और उनकी विस्तृत रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में पेश की जाए। कोर्ट ने अगली सुनवाई की तारीख दो हफ्ते बाद तय की है।
इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने 20 सितंबर को अबू बकर की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को नोटिस जारी किया था। यह मामला पहले दिल्ली हाई कोर्ट में भी उठाया गया था, जहां 28 मई को हाई कोर्ट ने अबू बकर की नियमित जमानत याचिका खारिज कर दी थी। हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान अबू बकर के वकील अदीत एस पुजारी ने अदालत में तर्क दिया था कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत हर नागरिक को जीवन का अधिकार प्राप्त है, जिसमें स्वास्थ्य का अधिकार और गरिमा के साथ जीने का अधिकार भी शामिल है। पुजारी ने यह भी कहा कि अबू बकर गंभीर बीमारियों, जैसे कैंसर और पार्किंसन से पीड़ित हैं, जिसके कारण वह अपनी शारीरिक देखभाल करने में भी सक्षम नहीं हैं।
गौरतलब है कि 2022 में देशभर में PFI के ठिकानों पर हुई कार्रवाई के बाद अबू बकर को गिरफ्तार किया गया था। उनके संगठन पर कई विवादास्पद गतिविधियों में शामिल होने के आरोप लगे थे। अबू बकर की ओर से उनके वकील का कहना है कि स्वास्थ्य कारणों से उन्हें जमानत मिलनी चाहिए ताकि वह इलाज करा सकें और गरिमा के साथ जीवन व्यतीत कर सकें।
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