गुरुवार को भारत की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक पार्टियों को निर्देश दिया है कि आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों के चयन का कारण अपनी वेबसाइटों पर अपलोड करें. साथ ही इन निर्देशों का पालन नहीं किए जाने पर कोर्ट ने चुनाव आयोग को इस बात की अनुमति दी है कि इनके खिलाफ यह कोर्ट में जानकारी दे. ऐसे में यदि पार्टियों ने कोर्ट के निर्देश का पालन नहीं किया तो चुनाव आयोग इस मामले को कोर्ट तक ले आएगी. राजनीति का अपराधीकरण रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने यह अहम फैसला लिया है. राजनीतिक दलों के लिए कोर्ट ने गाइडलाइन जारी किया. कोर्ट ने कहा कि पिछले चार आम चुनावों में राजनीति में अपराधीकरण तेजी से बढ़ा है. इसके अनुसार, यदि राजनीतिक दलों द्वारा आपराधिक पृष्ठभूमि के व्यक्ति को टिकट देती हैं तो उसका अपराधिक विवरण पार्टी की वेबसाइट पर और सोशल मीडिया पर देना होगा. साथ ही उन्हें यह भी बताना होगा कि किसी बेदाग को टिकट क्यों नहीं दिया गया.
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सुप्रीम कोर्ट ने राजनीति के अपराधीकरण पर चिंता जताते हुए कहा,'पिछले चार लोकसभा चुनावों में इसमें काफी बढ़ोतरी हुई है.' कोर्ट ने राजनीतिक दलों को आदेश दिया कि वे अपराधिक पृष्ठभूमि के उम्मीदवार का नामांकन स्पष्ट होने के 48 घंटे के भीतर उम्मीदवार का आपराधिक रिकार्ड अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करें.
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि जस्टिस एफ नरिमन की अध्यक्षता वाली संवैधानिक बेंच ने राजनीतिक पार्टियों को यह भी निर्देश दिया कि राजनीतिक पार्टियां ऐसे उम्मीदवारों के विवरण को फेसबुक और ट्विटर जैसे तमाम सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर भी शेयर करे. इसके अलावा एक स्थानीय व एक राष्ट्रीय अखबार में भी इस विवरण को प्रकाशित करे. शीर्ष कोर्ट ने आगे कहा कि ऐसे उम्मीदवारों के चयन के बाद 72 घंटों के भीतर उनके खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों को लेकर राजनीतिक पार्टियों को इस बारे में चुनाव आयोग को सूचित करना होगा.
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