नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने गुजरात दंगों की रेप पीड़िता बिलकिस बानो की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी है। इस याचिका में बिलकिस बानो ने मई में दिए गए शीर्ष अदालत के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें गुजरात सरकार को 1992 के जेल नियमों के तहत 11 दोषियों की रिहाई के लिए इजाजत दे दी थी। अपनी याचिका में बिलकिस बानो (Bilkis Bano) ने अपने दोषियों की रिहाई का विरोध किया था।
उन्होंने अपनी याचिका में वर्ष 2002 में उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म और उसके परिवार के सदस्यों की हत्या के लिए दोषी ठहराए गए 11 लोगों की जल्द रिहाई को चुनौती दी थी। इससे पहले सर्वोच्च न्यायालय ने इस याचिका पर जल्दी सुनवाई से मना कर दिया था। बिलकिस बानो की तरफ से पेश वकील शोभा गुप्ता ने चीफ जस्टिस (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ से आग्रह किया कि इस मामले पर सुनवाई के लिए एक अन्य पीठ का गठन किए जाने की आवश्यकता है। जिस पर CJI चंद्रचूजड़ ने कहा था कि, 'रिट याचिका को सूचीबद्ध किया जाएगा। कृपया एक ही चीज का बार-बार उल्लेख मत कीजिए।'
बता दें कि, बिलकिस बानो ने एक दोषी की याचिका पर शीर्ष अदालत द्वारा 13 मई को सुनाए गए आदेश की समीक्षा किए जाने का आग्रह किया था। शीर्ष अदालत ने गुजरात सरकार से 9 जुलाई 1992 की नीति के तहत दोषियों की वक़्त से पूर्व रिहाई की मांग वाली याचिका पर दो महीने के अंदर विचार करने के लिए कहा था। गुजरात सरकार ने सभी 11 दोषियों को 15 अगस्त 2022 को रिहा कर दिया था।
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