नई दिल्ली: देश में बढ़ते वायु प्रदूषण पर सर्वोच्च न्यायालय ने फिर चिंता प्रकट की है. अदालत ने इस बात पर आपत्ति जाहिर की है कि लोग मनाही के बाद भी आतिशबाजी करते हैं, जिससे स्थिति और अधिक बिगड़ती है. अदालत ने सुनवाई के दौरान कहा कि वायु प्रदूषण की समस्या अस्थमा के मरीज ही समझ सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने सख्त लहजे में यह भी कहा वह लोगों को मरने के लिए नहीं छोड़ सकते.
पटाखों की बिक्री आदि पर अदालत ने कहा कि देश में रोज़ाना जश्न मनाए जाते हैं. जश्न मनाना अच्छी बात है, अवश्य मनाना चाहिए, किन्तु जश्न में आतिशबाजी की जाती है, जो सही नहीं है. यह परेशानी पैदा करने वाली बात है. अदालत ने कहा कि हम लोगों को मरने के लिए नहीं छोड़ सकते. अस्थमा के मरीजों से पूछो, क्या समस्या होती है। बच्चे भी प्रभावित हो रहे हैं. सर्वोच्च न्यायालय ने आगे कहा कि लोग अलग-अलग बीमारियों का सामना कर रहे हैं.
अदालत ने कहा कि, जश्न तो ठीक है, हमें अन्य मुद्दों पर भी विचार करने की आवश्यकता है. यही नहीं अदालती आदेश के कथित उल्लंघन पर शीर्ष अदालत ने लगभग आधा दर्जन पटाखा निर्माताओं को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए सवाल किया है कि उनके खिलाफ कोर्ट की अवमानना की कार्रवाही क्यों नहीं करनी चाहिए? मामले की अगली सुनवाई 6 अक्टूबर को की जाएगी.
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