नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त जज जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने अपने एक ट्वीट के माध्यम से कई वरिष्ठ पत्रकारों पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि ये पत्रकार हिंदू रूढ़िवाद की तो काफी निंदा करते हैं, लेकिन मुस्लिम रीति-रिवाज पर मौन धारण कर लेते हैं। न्यायमूर्ति काटजू ने शनिवार (8 अगस्त, 2020) को ट्वीट करते हुए कहा कि ‘सिद्धार्थ, आरफा खानम शेरवानी, बरखा दत्त और राणा अय्यूब जैसे लोग नियमित रूप से हिंदू कट्टरवाद की आलोचना करते रहते हैं, लेकिन इन लोगों ने कभी बुर्का, शरिया, मदरसा और मौलानाओं की निंदा नहीं की, जिन्होंने मुसलमानों को पिछड़ा रखा।’
जस्टिस काटजू ने अपने ट्वीट में आगे लिखा है कि, ‘ये सब मुस्तफा कमाल पाशा ने ख़त्म कर दिया था। वास्तविक धर्मनिरपेक्षता का रास्ता दो तरफा होना चाहिए ना की एक तरफा।' बता दें कि सिद्धार्थ वरदराजन द वायर के संस्थापक और संपादक हैं। वहीं, आरफा खानम शेरवानी भी द वायर के लिए काम करती हैं और वहां पर सीनियर एडिटर हैं। रिटायर्ड न्यायाधीश के निशाने पर आईं बरखा दत्त भी जानी-मानी पत्रकार हैं और राणा अय्यूब लेखक व वरिष्ठ पत्रकार हैं।
काटजू ने ट्वीट में जिस मुस्तफा कमाल पाशा के नाम का जिक्र किया, उन्हें तुर्की का आधुनिक और धर्मनिरपेक्ष नेता माना जाता है। उन्होंने तुर्की का राष्ट्रपति रहते हुए मुस्लिम रीति-रिवाजों के अलग देश को यूरोप के पास लाने की कोशिश की। मुस्तफा कमाल पाशा ने ही हागिया सोफिया को मस्जिद से म्यूजियम बदल दिया था, जिसे अब रजब तैयब एर्दोगान की सरकार ने दोबारा मस्जिद बना दिया है।
‘Left liberals’ like ex JNU heroes @kanhaiyakumar @Shehla_Rashid @UmarKhalidJNU etc strongly condemn Hindu fundamentalism,but never condemn burqa,sharia,madarsas&maulanas,obviously bcoz de have eye on Muslim vote bank in a prospective election. This is reality of der ‘secularism’
— Markandey Katju (@mkatju) August 8, 2020
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