नई दिल्ली: उच्चतम न्यायलय के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ दाखिल किया गया महाभियोग, राज्य सभा के सभापति वेंकैया नायडू द्वारा अयोग्य घोषित किये जाने के बाद सोमवार को भारत की शीर्ष अदालत में पहुँच गया है. सोमवार को अदालत ने कांग्रेस की तरफ से याचिकाकर्ता कपिल सिब्बल से कहा था कि याचिका मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के सामने पेश की जाए, लेकिन कपिल सिब्बल ने यह कहते हुए इसका विरोध किया था कि जब मुकदमा ही शीर्ष न्यायधीश के खिलाफ है तो याचिक उनके समक्ष कैसे पेश की जा सकती है. कपिल ने इसके लिए मुख्य न्यायाधीश के अलावा किसी अन्य जज को मामले की सुनवाई के लिए निर्धारित करने की मांग की थी.
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए संविधान पीठ का गठन किया है, इस बेंच में जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस एके सिकरी, जस्टिस एनवी रमन, जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस एके गोयल शामिल हैं, जो मंगलवार सुबह 10.30 बजे इस मामले की सुनवाई करेंगे. यहाँ दिलचस्प बात यह भी है कि इस याचिका को वरिष्ठता क्रम में दूसरे से पांचवें स्थान पर आने वाले जस्टिस जे चेलामेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन बी लोकूर और जस्टिस कुरियन जोसेफ के सामने सूचीबद्ध नहीं किया गया.
ये वहीं न्यायाधीश हैं, जिन्होंने 12 जनवरी को विवादित संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस करके प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा पर कई आरोप लगाए थे. दरअसल पंजाब से कांग्रेस नेता प्रताप सिंह बाजवा और गुजरात से अमी हर्षदराय याज्ञनिक ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग नोटिस खारिज करने के राज्यसभा सभापति वेंकैया नायडू के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. इस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने उनसे कहा था कि वे कल (मंगलवार को) उसके सामने आएं, तभी इस मुद्दे को देखेंगे.
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